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आईआईटी बॉम्बे के टेक फेस्ट में भगदड़ मची: छात्र बोले- ‘हमारे साथ सहमति बनी’, इंस्टीट्यूट माफ़ी मक्की; जानिए भगदड़ की तीन बड़ी वजहें


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  • आईआईटीबी टेकफेस्ट 2024 में भगदड़ की स्थिति, छात्रों का आरोप, प्रबंधन ने मांगी माफी | आईआईटी बॉम्बे टेकफेस्ट 2024

28 मिनट पहले

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सबसे पहले ये वीडियो देखें…

ये वीडियो 17 से 19 दिसंबर तक आईआईटी बॉम्बे टेकफेस्ट 2024 तक चलेगा। उत्सव के दौरान भीड़ और अंधविश्वास के कई वीडियो वायरल हो रहे हैं। कार्यक्रम में मची भगदड़ में कई स्मारकों को शामिल किया गया। प्रोग्राम से वर्चुअल क्रेडिट ने कहा है कि उनका साथ दिया गया है। छात्र का कहना है कि आईआईटी बॉम्बे जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से इतने खराब प्रदर्शन की उम्मीद नहीं थी।

‘4 घंटे तक लाइन में लगे रहे, मिस-मैनेजमेंट की मास्टरक्लास’

डेजेस वीक आईआईटी बॉम्बे में 28वें वार्षिक टेक उत्सव का आयोजन किया गया। इसमें टेक्नोलॉजीज टेक्नोलॉजी पर आधारित घटनाएं होती रहती हैं। फेस्ट में शामिल रहे कई छात्रों ने सोशल मीडिया पर इवेंट्स के बुरे नतीजों पर सवाल उठाए।

एक रिटेलर ने रेडिट पर लिखा, ‘ड्रोन शो का बॉस इंतजार कर रहा था।’ हम 4 घंटे तक लाइन में लगे रहे। भीड़ में हर तरफ से धक्का-मुक्की हो रही थी। मेरे दोस्त को चोट लग गई। वह बहुत बुरा था। इवेंट आयोजित करने वालों की तरफ से यह अभी तक नहीं बताया गया है कि क्या चल रहा है, हमें जल्दी और इंतजार करना होगा। जैसे-तैसे हम लोग लाइन में लगे शो शुरू होने का इंतजार करते रहते हैं।’

एक और ने कहा, ‘तीन दिन तक वहां सिर्फ मिस-मैनेजमेंट की मास्टरक्लास चल रही थी। उत्सव के लगभग सभी आयोजनों में सालगिरह थी। लोगों को स्टॉकरियम में जाने के लिए 3 घंटे का इंतजार करना पड़ रहा था। जगह की कमी का सौदा लोगों को वापस जाने को कहा गया। ऐसे प्रतिष्ठित संस्थानों में इंफ्रास्ट्रक्चर भी नहीं मिल पाता, ये निष्क्रिय है।’

टेक फ़ेस्टिवल में स्पेस कम था, स्टेडियम के बाहर बड़ी आराम में लोग जमा थे, ऊँचे इवेंट में प्रवेश नहीं मिला।

‘हमारे साथ गठबंधन के मुताबिक, वीआईपी दोस्तों को दिया गया एंटरटेनर’

एक चमत्कार ने बताया, ‘भीड़ राक्षस हो रही थी, लंबे समय तक इंतजार करने के बाद हमने एसबीआई बैंक के बैरियर तक पहुंच कर उसे तोड़ दिया। महिलाओं की लाइन में लगे पुरुष और कई वीआईपी दोस्त भी घुसे अंदर। बाद में बहुत से लोग आए, परन्तु वे भीतर न गए।’

ऑर्केस्ट्रा ने आगे कहा, ‘ऑर्गन स्माज़ की कमी के कारण, हमारा साथ बिगड़ गया। हमारे साथ सहमति के रूप में हुआ। जैसे कि हमारे इस इवेंट में कोई काम नहीं है। जो कुछ भी हो रहा था, उसके लिए कोई माफ़ी या सुनने वाला भी नहीं था। भीड़ में लोगों का दम घुट रहा था, लेकिन रिक्शा चालकों की तरफ से कुछ नहीं किया गया।’

कई दोषियों ने सोशल मीडिया साइट्स पर इवेंट की विचारधारा को लेकर आईआईटी-बॉम्बे पर अनदेखी के आरोप लगाए हैं।

दोस्त ने आईआईटी बॉम्बे से बेस्ट फ्रेंड को कहा

एक और मॉडल ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक वीडियो शेयर किया है। इसमें आर्काइव में भगदड़ जैसी स्थिति दिख रही है। लोग साकेतरियम के अंदर जाने की कोशिश में हर तरफ भाग रहे हैं। प्रोटोटाइप ने लिखा है, ‘आईआईटी बॉम्बे में बैलेंस, मिसमैनेजमेंट और बैलेंस की कमी।

मित्र का कहना है कि अगर संस्थान को पता है कि इतने लोग इवेंट में आ रहे हैं तो छोटी जगह पर इवेंट क्यों रखा गया है। दोस्त ने लिखा है कि आपके पास जो सामान की चेन है, वह सबसे ऊपर है, इससे पहले हमारे साथ रहने पर आपको व्यवहार करने का हक नहीं मिलता। इसे माफ़ नहीं किया जा सकता। कई आरोपियों ने आईआईटी बॉम्बे से माफ़ी की मांग की है।

घटना के दौरान भारी बोझ जारी।

बता दें कि 20 दिसंबर को यूपी के युवाओं में कथावाचक प्रदीप मिश्रा की कथा के दौरान भी भगदड़ मच गई थी। दोपहर 1 बजे से शुरू हुई कहानी में करीब एक लाख लोग थे। भारी भीड़ के उद्घाटन के समय भगदड़ मच जाने से महिलाओं सहित कई लोग घायल हो गए। इसी साल जुलाई में उत्तर प्रदेश के श्रीनारायण साकार हरि नन्हे भोले बाबा के कार्यक्रम में भगदड़ से 122 लोगों की मौत हो गई थी।

भीड़ के आउट ऑफ कंट्रोल के पीछे 3 मुख्य कारण हैं

अफ़ग़ानिस्तान के सेंट गैलन विश्वविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर ऐना सिबेन सामी से भीड़ की गतिशीलता (भीड़ की गतिशीलता) पर शोध कर रही हैं। उनका कहना है कि भीड़ के नियंत्रण से बाहर होने की तीन मुख्य वजहें हैं।

1. कार्यक्रम में शामिल होने वाले लोगों की सहमति का गलत अनुमान

किसी भी कार्यक्रम में शामिल लोगों की समझ का सही अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। इसे ख़राब ईवेंट की तरह देखा जा सकता है। यदि कम जगह में अधिकांश लोग एकाकार हो गए हैं तो लोगों के बीच बहाव की जगह ही नहीं होगी, जिससे दुर्घटना होने की संभावना बढ़ जाती है।

2. एक ही समय में भीड़ का किसी एक पक्ष का आशय

यदि किसी भी कार्यक्रम में शामिल होने वाली भीड़ एक समय में एक साथ ही किसी भी जगह पर जाने लगती है तो भीड़ के अनियंत्रित हालात की संभावना बढ़ जाती है। आईआईटी बॉम्बे में जो हुआ या उसके पहले हाल की ही इंटरव्यू में ये बात बताई गई। सभी लोग एक समय पर एक दिशा में स्थापना चाहते थे। फायर जैसी सिचुएशन में भी होता है ऐसा। सार्वजनिक गैदरिंग के कार्यक्रम, पूजा स्थल या कथा, सत्संग व्याख्यान में आदिवासियों का संगठन एक साथ नहीं होता है, लेकिन जाने के समय अगर लोगों के रुक-रुककर आरोह की व्यवस्था नहीं की गई तो पूरी भीड़ एक साथ बाहर निकलती है।

3. भीड़ में कोई जानकारी या सूचना देर से प्रकाशित होती है

अक्सर सबसे ज्यादा भीड़ वाली जगह पर काफी ज्यादा भीड़ होती है। ऐसे में कोई भी जानकारी एक-दूसरे को सही से नहीं मिल पाती है। भीड़ में पीछे वाले लोगों को पता ही नहीं चल पाता कि आगे क्या चल रहा है। ऐसे में अगर कार्यक्रम स्थल में भगदड़ या दुर्घटना की स्थिति पाई जाती है तो लोगों को इसका पता ही नहीं चल पाता है। इससे दुर्घटना के बड़े होने की संभावना बढ़ जाती है।

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