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कोटा में 17 दिन 6 को मृतकों की हत्या कर दी गई: कॉपीकैट अगर दोषी हो सकता है, तो आत्महत्या कर ली गई बड़ी गलती-विचारक


34 मिनट पहले

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साल 2025 के 22 दिन ही रवाना हुए और छात्र-छात्राओं का गढ़ कहे जाने वाले कोटा में 6 छात्रे आठ महीने पहले ही कर चुके हैं। इनमें से 5 कोटा में जेईई की तैयारी कर रहे थे। वहीं एक यहां NEET की तैयारी के लिए भी तैयारी की गई थी।

पखें से फाँग फ़्रेंड, एंटी हैंगिंग जनरल फ़ेल्स

मौत के इन सभी 6 मामलों में मौत की सजा दी गई है। इनमें से 19 साल के नीरज जाट ने जिस पेइचिंग में भाग लिया, लेकिन फिर से फाँसी में शामिल हो गए, एंटी-गिंगिंग महाधिवेशन में भी शामिल हो गए, जो कि नीरज की जान नहीं बचे थे। पुलिस का कहना है कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि नीरज ने पुर्तगाल के कुंडे से फांसी लगा ली थी।

वहीं नानी के घर में फाँसी वाले मनन जैन ने खिड़की के एंगल से फाँसी रखी थी। तो इसमें एंटी-गिंग पत्रिका का कोई मतलब ही नहीं है। बाकी सभी मारे गए देशों में से एक को फांसी की सजा दी गई, जहां एंटी-हैंगिंग पत्रिका ही नहीं थी।

ऐसे में यहां दो सवाल होते हैं…

  • क्या एंटी-हैंगिंग दस्तावेज़ निजीकरण में विफल साबित हुआ है?
  • सोसाइटी जैसी फैसिलिटी में अंतिम एंटी-हैंगिंग पत्रिका क्यों नहीं थी?

2024 में 17 एंजिन, 2023 में 26

बात पिछले साल की है तो साल 2024 में कोटा में रहने वाले 17 साल के बच्चे की मौत हो गई थी। पिछले साल जनवरी महीने में 2 और फरवरी महीने में 3 मौतें हुईं। वहीं साल 2023 में कोटा में फैक्ट्री असॉल्ट के कुल 26 मामले सामने आए थे।

लेकिन इस साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो ये चौकाने वाला है। निश्चित क्यों साल शुरू होता है ही एक के बाद एक कैदी की मौत हो रही है? इसका कारण क्या हो सकता है?

‘बच्चों को फेलियर हैंडल करना सिखायाते ही नहीं”

मप्र मृतक प्रिवेंशन टास्क फोर्स के सदस्य और साइकेट्रिस्ट डॉ. सत्यकांत रैना ने कोटा में हो रहे गुप्तचर विशेषज्ञ को लेकर कहा, ‘किसी का भी आत्महत्या का कोई एक कारण नहीं होता। वही उदाहरण सभी बच्चे दे रहे हैं। ऐसे में मृतकों के लिए मिले-जुले कारक जिम्मेदार होते हैं। इसमें जेनेटिक कारण, सामाजिक कारण, पिता-माता के उद्देश्य, शिक्षा तंत्र सब शामिल है।’

डॉ. छात्र कहते हैं कि कहीं न कहीं हम बच्चों को ये सिखाया में नाकामयाब हो जाते हैं कि स्ट्रेस, रिजेक्शन या फेलियर से कितना नुकसान होता है। आज बच्चे को लगा कि उसकी शैक्षणिक उपलब्धि उसकी शैक्षणिक उपलब्धियों से भी बड़ी है। बच्चे की तैयारी रिहाई के लिए तैयार नहीं है, जीवन वापसी के लिए तैयारी है। सोसाइटी ने वैली वैली को बहुत ज्यादा महिमामंडित कर दिया है, जिसकी वजह से बच्चे को यह महसूस होता है कि मैं अभी भी पूरी तरह से हो जाऊंगा जब कोई एग्जॉम क्रैक कर लूंगा।

कोई उदाहरण 14-16 लाख कागजात दे रहे हैं लेकिन सीटें सिर्फ कुछ हजार हैं। ऐसे में सभी जानते हैं कि इसमें सिलेक्शन ना होने वाले बच्चों का नंबर सबसे ज्यादा रहता है। लेकिन फेलियर से डिलिवरी करने के लिए बच्चों को कोई तैयारी ही नहीं है। बाल सभा में मोटिवेशन लेक्चर देने से, काउंसलर लगाने से, कोई मूवी दिखाने से कुछ नहीं होगा। पूरा सिस्टम पर काम करना होगा।

कॉपीकैट का प्रभाव बढ़ने से ख़त्म हो जाते हैं

डॉ. स्टूडेंट ने लगातार हत्या के पीछे एक कारण बर्थर इफेक्ट को भी कहा। इसका मतलब कॉपीकैट आत्मघाती है। इसमें एक पार्टिकलर कॉज की वजह से किसी के कृत्य का महिमामंडन किया गया है। वही कोज को झेल रहे दूसरे लोग भी प्रभावित होकर आत्मघाती हमला कर सकते हैं।

वे कहते हैं कि यही कारण है कि उपदेश का प्रचार-प्रसार बहुत से लोगों के साथ होना चाहिए। जैसे हम हेडिंग में फंसे हैं- वोट करते रहे, किसी ने एक नहीं खाया, पढ़ाई के सामान में बच्चे की जान…. इसमें बच्चे को पीछे कर दिया गया और पढ़ाई के लिए आगे बढ़ाया गया। ऐसे में पढ़ाई का सामान झेल रहे बच्चे को बेकार कि वो तो अच्छा डिज़र्व है। इस वजह से बच्चे में आत्महत्या का विचार आ सकता है।

2024 में कोचिंग सेंटर्स के लिए गाइडलाइंस, नाई स्ट्राइक्स पर

छात्रों की आत्महत्या के बढ़ते मामले, कोचिंग सेंटर्स में आग की यादें और कोचिंग सेंटर्स में सुविधाओं की कमी को देखते हुए शिक्षा मंत्रालय ने कोचिंग संस्थानों के लिए गाइडलाइंस जारी की।

लेकिन इसके बावजूद कोटा में शहीद नहीं हुआ।

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