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ट्रम्प का अमेरिकी राष्ट्रपति पद तय: प्रवासी भारतीयों और छात्रों को 5 बड़ी परेशानियाँ; वज़ीर अवाँछन मुश्किल, रोज़गार के अवसर कम होंगे


9 मिनट पहलेलेखक: शिवेन्द्र गौरव

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डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के 47 वें राष्ट्रपति बनने के करीब हैं। काउंटियों में उन्होंने रिपब्लिकन उम्मीदवार कमला हैरिस को काफी पीछे छोड़ दिया है। ट्रम्प ने अपनी जीत का ऐलान भी कर दिया है। हालाँकि औपचारिक रूप से इसकी घोषणा नहीं हुई है।

चुनाव के बाद पूर्णतया 20 जनवरी 2025 को अमेरिका में राष्ट्रपति पद की शपथ ली जाएगी। ऐसे में सवाल है कि ट्रंप का दूसरा लोकतांत्रिक अमेरिका में रह रहे भारतीय छात्र और अमेरिका जाने की इच्छा वाले भारतीयों के लिए क्या रहेंगे।

इस खबर में जानेंगे कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से भारतीय छात्रों की समस्याएं कैसी रहेंगी…

ट्रम्प 2.0 शासन में 4 बड़ी परेशानियाँ हैं…

1. H-1B मास्टर नियम और सख्त आवश्यकता के लिए:

अमेरिका में रहने और पढ़ाई के लिए H-1B सबसे आम श्रेणी है। डोनाल्ड ट्रंप, H-1B मंत्री मंत्री की आलोचना कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि यह अमेरिकी क्रस्टेशियन के लिए ‘बहुत बुरा’ है। अपने पिछले आवेदन में उन्होंने एच-1बी के लिए पात्रता मानदंड और प्रतिबंध कर दिया था। इसमें शामिल है इस क्लास के मास्टर लेबल को रद्द करने का रेशियो डेजर्ट में 4 गुना बढ़ा हुआ है। 2015 में इसकी दर 6% थी जो 2019 में 24% तक हो गई थी। अब ट्रम्प एच-1बी स्वामी प्रोग्राम के नियम और सख्ती करने की बात कह रहे हैं। एक्स्ट्रामार्क्स एजुकेशन के संचालक करुण कन्दोई का कहना है कि इससे अमेरिका जाने वाले भारतीयों के लिए वज़ीर की तलाश मुश्किल हो सकती है। इस समय एच-1बी श्रेणी में हर साल 65 हजार डिग्री मास्टर और अमेरिकी छात्रों से हायर डिग्री लेने वालों के लिए अतिरिक्त 20 हजार मास्टर की सीमा है। हैरिस ने इस सीमा को बढ़ाने की बात कही थी।

हैरिस ने H-1B क्लास में हर साल 65 हजार हजार की सीमा बढ़ाने की बात कही थी।

2.स्टूडेंट मास्टर और वर्कशॉप एक्सपीरियंस की मुलाकात में समस्याएं:

ट्रम्प ने अपने पहले अनुबंध में एफ-1 वर्टिकल वर्जिश पर जांच की पुष्टि की थी। इसके अलावा अमेरिका में कोचिंग प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (ओपीटी) की व्यवस्था है जिसके तहत विदेशी छात्रों को अमेरिका में काम करने का समय दिया जाता है। ट्रंप ने उपयोग की सीमा तय करने का विकल्प भी बताया। चुनाव अभियान के दौरान उन्होंने अपने शेयरधारकों में सख्त चुनाव प्रचार लागू करने की बात कही थी। इससे अमेरिका में रह रहे भारतीय छात्रों के लिए वहां काम करना मुश्किल हो जाएगा।

3. स्थायी नागरिकता के लिए ग्रीन कार्ड का समयावधि:

अमेरिका में स्थायी नागरिकों को एक प्लास्टिक का पहचान पत्र मिलता है। इसे ग्रीन कार्ड कहते हैं। इसकी प्रक्रिया बहुत कठिन है। विदेशी मूल के लोग जो अमेरिका में काम करना चाहते हैं और रहना चाहते हैं, उनके लिए ट्रम्प के पेट्रोलियम बेस्ड मार्किंग सिस्टम एक बड़ी चुनौती है। इसे 84 साल तक के वेट-टाइम के तहत लागू किया गया है। अभी तक दस लाख से अधिक भारतीय अमेरिका में काम करने के लिए अलग-अलग तीन श्रेणियों के ग्रीन कार्ड मास्टर मिलने का इंतजार है।

4. बिजनेस के लिए EB-5 मास्टर और ग्रीन कार्ड हासिल करना मुश्किल

EB-5 मास्टर के तहत विदेशी आवेदकों को अमेरिका में ग्रीन कार्ड देने की व्यवस्था है। इस स्वामी के लिए कम से कम निवेश पहले 5 लाख डॉलर था, जो अब 9 लाख डॉलर हो गया है। ट्रम्प की इकाइयों के पास यह मूल्य और मूल्य हो सकता है।

बोडो.एआई नाम की अमेरिकी कंपनी के मुख्य उत्पाद अधिकारी रोहित कृष्णन ने हाल ही में सोशल मीडिया पर लिखा,

अमेरिका में आप्रवासन का रास्ता कितना मुश्किल है, यह बहुत कम लोग जानते हैं।

उद्धरणछवि

अरविंद श्रीनिवास पर्प्लेक्सिटी एआई के संस्थापक और सीईओ हैं। वह बना रहे हैं,

उद्धरणछवि

मैं तीन साल से ग्रीन कार्ड मीटिंग का इंतजार कर रहा हूं। लोगों को कोई भी आईडिया नहीं पता है कि वे नाइजीरिया में व्यापारिक मुद्रा में हैं।

उद्धरणछवि

इस चर्चा में एलन मस्क ने यह भी कहा, ‘हमारा सिस्टम लोगों के लिए कानूनी रूप से अमेरिका आना बहुत मुश्किल बनाता है और अवैध रूप से यहां बनाना आसान है।’

5. अमेरिका में पैदा हुए बच्चों को नागरिकता मिलनी होगी मुश्किल:

ट्रम्प अमेरिका में जन्मे ऐसे बच्चे अमेरिका की नागरिकता देने के पक्षधर नहीं हैं, जिनके माता-पिता अमेरिका के नागरिक नहीं हैं। ट्रम्प ने एक ऐसा मेरिट सिस्टम का प्रस्ताव दिया है, जिसमें टेलीकॉम को फैमिली कनेक्शन से बड़ा हिस्सा दिया जाएगा। यानि यह देखने को मिला कि बच्चों के लिए साइटसीटी के लिए आवेदन देने में किस काम को करने की क्षमता है।

इसके अलावा ट्रम्प के पिछले शासन में टूरिस्ट और शॉर्ट स्टार वीर की प्रक्रिया भी लंबी हो गई थी। 2017 में अमेरिका के पर्यटक जादूगर से मुलाकात में 28 दिन लगे थे। 2022 में यह अवधि 88 दिन की हो गई थी।

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