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डीयू छात्र संघ चुनाव के नतीजे आज: एबीवीपी-एनएसयूआई में टक्कर; चुनाव प्रचार में रॉबर्ट्स के लेव्स कोर्ट ने रोक लगा दी थी


51 मिनट पहले

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दिल्ली यूनिवर्सिटी यूनिट यूनियन (DUSU) के चुनाव नतीजों का इंतजार आज 25 नवंबर को खत्म हो जाएगा। 24 नवंबर से दिल्ली यूनिवर्सिटी से जुड़े चित्र में सुबह 8 बजे से छात्रों की काउंसलिंग शुरू हो गई है। 27 सितंबर को आए चुनाव के नतीजे अगले ही दिन 28 सितंबर को आ गए थे, लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने चुनाव प्रचार के दौरान दिल्ली में रिजल्ट के पोस्टर-बैनर का आयोजन किया, जिसके कारण वोटों की गिनती पर रोक लगा दी गई। 26 नवंबर से पहले हाई कोर्ट ने यूनिवर्सिटी में घोटाले की गणना का निर्देश दिया था।

दिल्ली में सड़क, रेलवे स्टेशन, मेट्रो-पुलिस स्टेशन के प्रचार-प्रसार के पोस्टर लगाए गए 27 सितंबर को DUSU इलेक्शन में सभी सेंट्रल एसोसिएट्स प्रेसिडेंट, वाइस प्रेसिडेंट, सेंट्रल काउंसिल और ज्वाइंट कंटेंटमेंट के चुनाव के लिए वोट डाला गया। इसके पहले चुनाव प्रचार के दौरान होटल के समर्थन वाले पोस्टर, दिल्ली में जगह-जगह झंडे, पुलिस स्टेशन, मेट्रो स्टेशन प्लेट लगाए गए थे। हर तरफ शिकायत थी। साल 2017 में दिल्ली के एक वकील ने दिल्ली उच्च न्यायालय में छात्र संघ चुनाव के दौरान हुई हिंसक हिंसा को लेकर एक याचिका दायर की थी, साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि चुनाव के दौरान सार्वजनिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच रहा है। इस सूची में जस्टिस मनमोहन सिंह ने कहा है कि इस बार का रिजल्ट तब तक घोषित नहीं किया गया जब तक यूनिवर्सिटी कोर्ट ने यह नहीं कहा कि सभी पोस्टर, होर्डिंग्स, प्ले कार्ड को हटा दिया गया है।

इसके बाद प्रोफेसर सत्यपाल सिंह ने हाई कोर्ट में जस्टिस जस्टिस और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच के सामने एक स्टेटस रिपोर्ट पेश की। बताया गया है कि चुनाव के ढांचे में सभी स्थानों की सफाई की गई है, जहां चुनाव प्रचार के दौरान गंदगी फैलाई गई थी।

चुनावी प्रचार के दौरान फंसे और बांटे जा रहे पोस्टर (फोटो फोटो- ANI)

प्रोफेसर सत्यपाल सिंह ने बताया कि 21 और 22 नवंबर को कई स्थानों का सर्वेक्षण किया गया था। इसमें सामने आया कि सभी स्थानों से गंदगी साफ नहीं हुई है। इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी ने खुद सफाई पर फैसला लिया। इस आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने ज़ीरो की गिनती के सामान की कीमत दी।

4 छात्रों के लिए 21 लड़कियाँ मैदान में, एबीवीपी, एनएसयूआई में मुख्य लड़ाई थी इस बार 4 सेंट्रल पोस्ट (प्रेसिडेंट, वाइस प्रेसिडेंट, कंसीडेंट और ज्वाइंट कंसीट्यूशन) के लिए कुल 21 जिओबी मैदान थे। इनमें प्रेसिडेंट पद के लिए 8, वाइस प्रेसिडेंट पद के लिए 5, जॉइंट कंसीडेंट पद के लिए 4 और दंत चिकित्सक पद के लिए 4 दंत चिकित्सक चुनाव लड़ रहे थे।

वोट देने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े कुल 52 लोगों को 1 लाख 40 हज़ार डॉलर के 4 सेंट्रल पोस्ट के लिए वोट दिया गया। 27 सितंबर को रिकॉर्ड 42% मतदान हुआ। सभी जगह ईवीएम से वोटिंग हुई, जबकि कॉलेज यूनियन के लिए बैलेट पेपर पर वोटिंग हुई। हालांकि 2018 में रिकॉर्ड 44.46% और 2017 में 42.8% वोटिंग हुई थी।

दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव में प्रमुख प्रतिद्वंदिता एबीवीपी और एनएसयूआई में बनी हुई है।

सेंट्रल के लिए 8 मेल और 4 फ़ीमेल कैसीनो प्रेसिडेंट पोस्ट के लिए एबीवीपी के ऋषभ चौधरी, एनएसयूआई के वैशाली खत्री और आइसा के सवी गुप्ता के बीच टक्कर थी। ऋषभ चौधरी हरियाणा के युवाओं के रहने वाले हैं। वे श्याम लाल कॉलेज के ग्रेजुएट और बुद्धिस्ट स्टडीज के छात्र हैं। वहीं, सावी गुप्ता लॉ की पढ़ाई कर रही हैं।

वाइस प्रेसिडेंट पद के लिए एबीवीपी के भानु प्रताप सिंह, एनएसयूआई के यश नंदल और आइसा के आयुष मंडल के बीच मुकाबला था। एबीवीपी ने मित्रविंदा कर्णवाल को अपना उम्मीदवार बनाया। कर्णवाल लक्ष्मीबाई कॉलेज में क्रॉनिक (ऑनर्स) की दुकानें हैं। कर्णवाल का मुकाबला एनएसयूआई की नम्रता जेफ मीना और एसएफआई की अनामिका से था। अनामिका पॉलीटिकल साइंस में मास्टर्स की पढ़ाई कर रही हैं।

जॉइंट कॉस्टयूम पद के लिए, पीजीडीएनवी इवानिंग कॉलेज से हिंदी (विज्ञापनकर्ताओं) में ग्रेजुएशन करने वाले एबीवीपी के अमन क्यूनिया का मुकाबला एनएसयूआई के लोकेश चौधरी और एसएफआई की स्नेहा अग्रवाल से था।

एबीवीपी ने कैसीनो में एक कोर्स शुरू किया, एनएसयूआई ने ट्रांसपेरेंसी में एक कोर्स जारी किया

  • एबीवीपी: पीजिआ कोरजेस के लिए ‘वन कोर्स, वन फी फी बेकर, यूनिवर्सिटी डोम का सेंट्रल से आवंटन, एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए स्कॉलरशिप की मांग लेकर आए।
  • एनएसयूआई: कैम्पन में छात्रों की भागीदारी बढ़ाने जैसे मुद्दे जारी किए गए।
  • आइसा और एसएफआई: प्राइवेट लिमिटेड, अटेंडेनसिटी में बदलाव, महिला सुरक्षा और चार साल के तहत ग्रैजुएट प्रोग्राम को अंतिम रूप दिया गया।

इससे पहले 3 केंद्रीय पदों पर एबीवीपी, 1 पद पर एनएसयूआई के पदाधिकारी थे दिल्ली यूनिवर्सिटी में छात्र संघ के 2019 चुनाव में एबीवीपी ने चार से तीन सीटों पर कब्ज़ा जमाया था. कोरोना के कारण 2020 और 2021 में चुनाव नहीं हो सका, जबकि एकेडमिक कैलेंडर में डिस्टर्बेंस के कारण 2022 में चुनाव कार्यक्रम नहीं हुआ।

इसके बाद DUSU के 2023 के चुनाव में एबीवीपी ने तीन प्रतिभागियों (प्रेसिडेंट, सीबीएसई, ज्वाइंट कॉस्टयूम) की घोषणा की। वहीं एनएसयूआई ने वाइस प्रेसिडेंट पद पर जीत हासिल की। एबीवीपी की तुषार धारा ने अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की। तुषार को 23 हजार 460 वोट मिले थे, जबकि रनर रहे हितेश गुलिया (एनएसयूआई) को 20 हजार 345 वोट मिले थे। वहीं एनएसयूआई के अभि दहिया ने वाइस प्रेसिडेंट पद पर, एबीवीपी की अपराजिता ने कॉन्स्टेंट पोस्ट पर और सचिन बासला ने जॉइंट कॉन्सिटेंट पद पर जीत हासिल की थी। पिछले 11 वर्षों में एबीवीपी ने 8 बार राष्ट्रपति पद जीता है, जबकि एनएसयूआई को 3 बार ही जीत मिली है। आखिरी बार एनएसयूआई ने 2017 में प्रेसिडेंट पद पर जीत हासिल की थी।

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