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7 मिनट पहलेलेखक: उत्कर्षा गीतकार
भारतीय लोग पुलिस, सिविल सेवक, राजनेता, सरकारी मंत्री या वकील से अधिक भरोसेमंद खाना बनाने वाले वेटर्स पर काम करते हैं। वहीं भारत में पूरी दुनिया में डॉक्टर, टीचर और साइंटिस्टों को सबसे ज्यादा भरोसा किया जाता है। हालाँकि सोशल मीडिया पर प्रभावशाली लोग और नेता लोग भरोसा करने से कतराते हैं। ये आंकड़े ‘IPSOS ग्लोबल ट्रस्टवर्डी स्टॉकर्स 2024’ सामने आए हैं। IPSOS फ्रांस की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी है। ये मार्केट रिसर्च और कंसल्टेशन का काम करता है।
डॉक्टर्स पर सबसे बड़ा भरोसा 32 इस सर्वे में देश के सभी लोगों को सबसे भरोसेमंद डॉक्टरों का पता चला है। भारत में 57% लोग डॉक्टर्स पर भरोसा करते हैं। इसके अलावा आर्म्ड फोर्सेज, साइंटिस्ट, जज और बैंकर्स पर भी देश में सबसे ज्यादा भरोसा किया जाता है। वहीं, किशोर और सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर्स पर बिसवां में लोग सबसे कम भरोसा करते हैं।
40% भारतीय लोग नेताओं पर भरोसा करते हैं बैंकों में डेमोक्रेट, सिविल सेवक और सरकारी मंत्री पर ज्यादातर लोग भरोसा नहीं करते, लेकिन भारतीय इस मामले में आगे हैं। 40% भारतीय लोग नेताओं पर और 41% भारतीय लोग सरकारी सेवाओं पर विश्वास करते हैं। इसी तरह एडवर्टाइजमेंट एकांतिकटाई यानी एड बनाने वाले लोग बिहार में सिर्फ 19% लोग भरोसा करते हैं, वहीं भारत में 43% लोग भरोसा करते हैं। आंकड़ों के मुताबिक भारतीय बाकी देशों के समूह तो नेता और मंत्री पर सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं, लेकिन अगर बाकी प्रोफेसरों की तुलना की जाए तो अलग बात सामने आती है। बाकी प्रोफेशन्स के चर्च भारत में नेता, वकील और धर्मगुरु सबसे कम भरोसेमंद हैं।
ऐसे 5 प्रोफेशन जिन पर भारतीय विश्वास नहीं करते…
बूमर्स इन्फ्लूएंसर्स की बातें झूठ मानी जाती हैं सर्वे में सबसे पहले बारफ्लूएंसर्स की एक श्रेणी को शामिल किया गया था। बिहार में सिर्फ 15% लोग ही सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर्स पर भरोसा करते हैं। इसमें भी जेनरेशन के अकाउंट से लोगों की राय अलग-अलग है। जहां एक या 20% जेन जेड इन्फ्लूएंसर्स पर भरोसा करते हैं, वहीं सिर्फ 9% बेबी बूमर्स इन्फ्लूएंसर्स के मन में रहते हैं। यानी सोशल मीडिया के आने से पहले पैदा होने वाले लोग सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की बात नहीं मानते। वहीं सोशल मीडिया के समय में पैदा होने वाले लोग प्रभावित करने वाले लोगों पर भरोसा कर लेते हैं।
32 देशों का सर्वेक्षण किया गया आईपीएसओएस ने यह सर्वे 32 देशों के बीच 24 मई से 7 जून को कराया था। इसमें 23,530 विज्ञापन शामिल थे। सर्वे 2 में 200 भारतीयों को शामिल किया गया था, जिसमें 1800 लोगों का फेस-टू-फेस और 400 लोगों का ऑनलाइन इंटरव्यू लिया गया था। सर्वे में शामिल भारतीयों में से ज्यादातर लोग टियर 1, 2 या 3 से आते हैं यानी ज्यादातर लोग शहर हैं।
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