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58 मिनट पहले
उत्तर प्रदेश का एक प्राइमरी स्कूल लंबे समय से बंद चल रहा है। इसका कारण यह है कि स्कूल की प्रधानाध्यापिका अलका सिंह समेत तीन महिला टीचरों ने अपने पुराने इस्लामिक विवाद को लेकर 400 दिन की छुट्टी ले ली थी। स्कूल लंबे समय से बंद है। स्कूल में 8 महीने से मिड-डे मील नहीं बना। कई बार होने वाली याचिका के बाद अब प्रशासन ने इन तीन शिक्षकों को अलग कर दिया है।
भारतीय समुदाय के साक्षत्कारी महाराज का भगवान लिया गया गांव, स्कूल में सिर्फ 7 बच्चे
टीकरगढ़ी गांव, उत्तर प्रदेश के उन्नाव के बिछिया ब्लॉक में आता है। जिला मुख्यालय से मात्र 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव में भाजपा के तेजतर्रार कम्युनिस्ट महाराज ने गोद ले लिया है। ‘गांव को गोद लेना’ कोई संवैधानिक दायित्व नहीं है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के दावे के बाद बीजेपी के न्यूनतम इस दावे के साथ क्षेत्र को गोद ले लेते हैं कि यह एक मॉडल विलेज की तरह विकसित होगा।
गांव की प्रधान नन्ही देवी हैं। उनके देवर मंडल यादव ने भास्कर से बातचीत में बताया कि दो मजरों वाली इस ग्रामसभा में करीब 8000 मतदाता हैं। इनमें से करीब 5000 की आबादी इसी प्राइमरी स्कूल के आसपास है। स्थिति यह है कि कुछ साल पहले तक इस स्कूल में 120 बच्चे पंजीकृत थे। इन तीन टीचर्स के अलावा दो असिस्टेंट टीचर भी थे मौजूद। उन दोनों टीचर्स ने भी जगह ले ली है। अब स्कूल के रजिस्टर में सिर्फ 7 बच्चों का नाम रजिस्टर लिखा है। इसकी वजह है स्कूल की महिला टीचर्स की दोस्ती लड़ाई।
टीकरगढ़ी ग्रामसभा की आबादी करीब 8000 है, गांव के सरकारी स्कूल में सिर्फ 7 बच्चों का नाम रजिस्टर में लिखा है।
‘टीचरों पैसे में मिड-डे मील, के चॉकलेट की लड़ाई’: बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया
वर्गीकरण हैं,
टीचर अलका सिंह और भव्य यादव दोनों उन्नाव शहर से आते हैं और दसियों साल पुराने इसी स्कूल में पढ़ते रहते हैं। दोनों के पति भी टीचर हैं। कई पूर्वजों से दोनों के बीच लड़ाई चल रही है। कई बार साज़ीरे तक की नौबत आई। स्कूल की तीसरी टीचर अमिता शुक्ला घोषाल सिंह के खेमे में हैं।
किंवदंती के अनुसार, उन्होंने कई बार दोनों महिला प्रशिक्षकों के बीच विवाद का कारण बनने की कोशिश की, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला तो उन्होंने शिकायत कर दी।
कहावत है, ‘टीचर्स के इस विवाद के चलते स्कूल का माहौल इतना खराब हो गया कि बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया।’ अब सिर्फ 7 या 8 बच्चों के नाम स्कूल में लिखे गए हैं। गांव के करीब 500 बच्चे आसपास के निजी स्कूलों में जाने लगे हैं।’
गांव के राजेश लोधी गरीब किसान हैं। उनकी एक भतीजा और दो भतीजियां स्कूल में पढ़ी गईं। कहते हैं,
टीचर्स के बीच सुबह से दो बजे तक गिल-ग्लॉच और लड़ाई हुई थी। कभी मिड-डे पैसे मील बनाने को लेकर तो कभी के मोटो को लेकर। जब रोज लड़ाई हो रही है तो पढ़ाई कैसे होगी। हमें बच्चों का स्कूल जाना बंद कर दिया गया। हम गरीब लोग हैं, बच्चों को प्राइवेट स्कूल में नहीं भेज सकते। हमारा बच्चा अब कहीं पढ़ाई नहीं कर रहा।
सोसाइटी ने हमें बताया कि लंबे समय से स्कूल में कोई टीचर नहीं आ रहे हैं। कल यानी 14 नवंबर को अलका सिंह स्कूल में। अब उन्हें अपलोड कर दिया गया है।
हालांकि गांव के पूर्व प्रधान नीरज सिंह कहते हैं कि अलका सिंह को कैंसर हो गया था, इसलिए वो बीच स्कूल नहीं आईं।
इस पर कहावतें हैं,
‘कैंसर की बात हिलती है।’ नीरज सिंह पहले स्कूल का मिड-डे माइल्स खुद बनवाते थे। इससे कमाई की जाती थी जो वह टीचर्स के मिल-बांटकर खाते थे। मेरी भाभी के प्रधान बनने के बाद हमने मिड-डे माइल्स का काम टीचर्स को फिर से दिया। अब विरोधाभासी लेकर लड़ाई होती है।’
हमने अलका और जयंती सिंह के फोन नंबरों पर संपर्क करके उनके पक्ष में जाने की कोशिश की, लेकिन दोनों ने हमारा फोन नहीं उठाया।
भारतीय कम्युनिस्ट साक्षत्कार महाराज ने यह गाँव का देवता बना लिया है।
जांच टीम को मिला 8 महीने पुराना मिड-डे माइल्स का सस्ता सामान
मिड-डे मील न बने और लंबे समय से शिक्षकों की छुट्टी पर रहने की याचिका राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्य श्यामपति ट्रिप के पास की थी। टैब वे जांच के आदेश नीचे दिए गए हैं। स्कूल का निरीक्षण करने वाली टीम ने बंद कमरे में 8 महीने पुराने मिड-डे का सामान मिलाया। यह पूरी तरह से भुगतान किया गया था।
बिछिया ब्लॉक के शिक्षा अधिकारी संजय यादव ने कहा,
जांच में पता चला कि हर रविवार को होने वाली स्कूल की शिक्षा समिति 4 महीने से नहीं हुई है। टीचर्स ने इक्का 400 डे की मेडिकल और इंजील कैर लीव के लिए अप्लाई किया था।
तीन स्टाक्ज़, स्कूटर रोके गए दूसरे स्कलों में भेजे गए आदेश
शिक्षा विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, किसी भी सरकारी कर्मचारी को उसकी पूरी सेवा के दौरान अधिकतम दो वर्ष तक मेडिकल लीव दी जा सकती है। इसमें भी एक बार में अधिकतर 6 महीने यानि 180 दिन की छुट्टी मिल सकती है।
राज्य बाल संरक्षण आयोग की जांच के बाद राज्य बाल संरक्षण आयोग की जांच के निर्देश दिए गए थे। इसके बाद अलका सिंह, जयजय यादव और अमिता शुक्ला को सस्पेंड कर दिया गया। अधिकतम छुट्टी की सीमा और अन्य कर्मचारियों की जांच खंड शिक्षा अधिकारी को मंजूरी दे दी गई है।
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