Physical Address
304 North Cardinal St.
Dorchester Center, MA 02124
Physical Address
304 North Cardinal St.
Dorchester Center, MA 02124
7 मिनट पहले
उत्तर प्रदेश की विधानसभा और विधान परिषद में 186 सरकारी पदों पर भर्ती में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। आरओ/एआरओ जैसे 38 व्यापारियों के नेताओं और एग्ज़ाम वाली बाहरी एजेंसी के अनबेंड ने अपने रिश्तेदारों को बर्बाद कर दिया। इन सभी को 3 साल पहले यूपी विधानमंडल के सचिवालय अलॉट में नौकरी दी गई। हैरत की बात ये है कि एग्ज़ॉमेट वाली डॉक्यूमेंट्री स्टूडियो के मालिक एक और भर्ती में गड़बड़ी के आरोप में जेल जा चुके हैं। इन असंबद्ध के भी 5 नागार्जुन अधिकारी बने हुए हैं। इलाहबाद उच्च न्यायालय ने इसे भर्ती बहाली कहा था और मामले की पूछताछ जांच के आदेश दिए गए थे। इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर में इन नेताओं और अधिकारियों के बारे में खुलासा हुआ है।
इस सूची में उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष के पीआरओ, कई सचिव, पूर्व मंत्री और अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ के पूर्व विशेष दिवाली पदाधिकारी के नाम हैं। इसके अलावा टीएसआर डेटा की सलाह और रभव नाम की दो फर्मों के 5 कर्मचारी हैं। ट्रस्ट दो फर्मों ने कोविड की पहली लहर के दौरान यह इजाद किया था।
उच्च न्यायालय ने इसे भर्ती घोटाले के बारे में बताया, रिसर्च का आदेश दिया
एग्जॉम में फेल हो रहे हैं तीन अस्थिरों के खिलाफ- सुशील कुमार, अजय त्रिय और अमरीश कुमार ने 2021 में इसे इलाहाबाद हाई कोर्ट में दाखिल किया था। एक और डेमोक्रेट मुकेश कुमार सिंह ने हेराफेरी पर आरोप लगाया था।
इंस्पेक्टर ने कोर्ट में यह भी कहा था कि एग्ज़ाम का रिजल्ट कभी भी सार्वजनिक नहीं किया गया और न ही रिजल्ट की तारीख बताई गई। हालांकि विधानसभा सचिवालय की ओर से कोर्ट में कहा गया था कि फाइनल रिजल्ट वेबसाइट पर आधिकारिक uplegiaassemblyrecruitment.in पर अपलोड किया गया था। वहीं एआरओ की फाइनल मेरिट लिस्ट सचिवालय के नोटिस बोर्ड पर चिपका दी गई थी।
मामले की सुनवाई 18 सितंबर, 2023 को उच्च न्यायालय ने मामले में वैज्ञानिक जांच के आदेश में अपने फैसले में कहा,
यह डेटिंग वाला मामला है और किसी भी भर्ती से कम नहीं है, जहां सैकड़ों भर्तियां अवैध और अवैध तरीके से एक गैर-भर्ती को बाहरी एजेंसी द्वारा नियुक्त किया गया है।
इन सभी दिग्गज अधिकारियों और नेताओं से अखबार ने मांगा जवाब. क्या कहा, जान सहयोगी-
हृदयनारायण दाता: मेरे PRO की पोस्ट बाद में हुई। इसमें मेरी कोई भूमिका नहीं है।
जय प्रकाश सिंह: मेरे बेटे और बेटी की शैक्षणिक योग्यता का आधार बना हुआ है। मैं इससे ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता।
प्रदीप जैन: यह मामला अब सर्वोच्च न्यायालय में है। मेरे लिए इस पर चर्चा करना सही नहीं होगा।
सिंह: मैं कुछ नहीं कहना चाहता.
पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह: उनके परिवार के एक और सदस्य ने कहा कि महेंद्र सिंह का कोई लेना-देना नहीं है।
दिनेश कुमार सिंह: दिनेश कुमार सिंह के बेटे अब अस्पताली डिसेबल्ड क्लास से म्युचुअल कोर्ट के जज बन गए हैं। दिनेश कुमार सिंह ने कहा कि मेरी आरओ के फेसबुक पोस्ट में उनकी कोई भूमिका नहीं है।
अजय कुमार सिंह, जैनेन्द्र सिंह यादव और बाकी लोगों से भी संपर्क करने की कोशिश की गई। इन लोगों ने नहीं दिया कोई जवाब।
भर्ती में धांधली के फ़ोर्स को एग्ज़ाम स्टॉक का आबंटन मिला
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के रिकॉर्ड के अनुसार, टीआरएस और राभव नाम की दोनों फर्मों के मालिक एक और भर्ती में धोखाधड़ी के आरोप में जेल जा चुके हैं और वारंट पर हैं।
2016 तक यूपी विधानसभा के सचिवालयों में यूपी लोक सेवा आयोग में भर्ती हुई थी। बाद में विधानसभा के विभिन्न भवनों में बदलाव किये गये। 2019 विधानसभा परिषद खुद ही यह भर्ती आयोजित करने आया था।
हाई कोर्ट ने इस पर कहा,
(एजेंसी) को हटा दिया गया और उसकी जगह (एजेंसी) को बाहरी एजेंसी को सौंप दिया गया। ये बात है डेट्स वाली।
इस मामले में यूपी विधान परिषद ने कोर्ट में एक समीक्षा सूची दी थी। 3 अक्टूबर, 2023 को कोर्ट ने मशीन रिजेक्ट करते हुए कहा, कोर्ट रिकॉर्ड का रिव्यू पहले ही कर लिया गया है और टिकाउ पर काम किया गया है। इस बीच शेयरधारकों ने भर्ती से जुड़े कुछ दस्तावेज अपने व्यवसाय में लेकर जांच शुरू की, लेकिन 13 अक्टूबर 2023 को सर्वोच्च न्यायालय ने इसे स्थापित कर दिया।
कोर्ट के रिकॉर्ड के अनुसार, विधानसभा में भर्ती का क्षेत्र ब्रॉडकास्टिंग इंजीनियरिंग एंड कंसल्टेंसी (बीईसीआईएल) को दिया गया था। यह केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली एक सरकारी कंपनी है। BECIL ने ही TSR डेटा स्टडी को काम पर रखा था। हालांकि BECIL के सीनियर मैनेजर अविनाश खन्ना का कहना है कि केस कोर्ट में है, इसलिए हम इस पर कुछ नहीं कह सकते। वहीं अन्य दस्तावेजों के अनुसार, विधान परिषद की भर्तियों का काम रभव को खारिज कर दिया गया था। हालांकि यूपी के सचिवालय ने जो परीक्षा दी, उसमें अदालत में फर्म का नाम नहीं बताया गया। अब यूपी विधान परिषद की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने सामान्य जांच पर रोक लगा दी है और मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी, 2025 को तय की जाएगी।
RO/ARO एग्जॉम से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…
आयोग अब यूपीपीसीएस एग्जॉम एक ही दिन में नोटगा:आरओ/एआरओ पर छात्र बोले, ‘आयोग का जवाब छलावा, पूरी जीत तक डेट करेंगे’
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग कार्यालय (यूपीपीएससी) ने यूपीपीसीएस के दो विभागों में स्थानांतरण का निर्णय लिया है। पूरी खबर पढ़ें…