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बायजू के रिज एंड फॉल की पूरी कहानी: एक ओर वर्ल्ड कप स्पॉन्सर कर रही थी कंपनी, दूसरी ओर कर्मचारियों को काम से निकाला


2 मिनट पहलेलेखक: उत्कर्षा गीतकार

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कभी जिस कंपनी ने आईपीएल जैसे टूर्नामेंट को स्पॉन्सर किया था, आज उसका नेटवर्थ जीरो जीरो हो गया है। इसका सीधा मतलब यह है कि कंपनी का कर्ज डूब गया है। कंपनी अपने बैंक बैलेंस और एसेट्स पर सबसे ज्यादा कर्ज लेती है।

यहां हम एडटेक प्लेटफॉर्म बायजू के बारे में बात कर रहे हैं, आज ऐसी स्थिति सामने आई है कि कंपनी के पास अपने कर्मचारियों को नौकरी पर देने तक पैसे नहीं बचे हैं। कंपनी की संस्थापक होने वाली कंपनी वर्थ जीरो की कंपनी बायजू रशियन ने कही।

‘मुझे कोई धोखा नहीं की’

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान क्रिडियन बायजू ने कहा कि हमारी कंपनी को लेकर कोई धोखाधड़ी नहीं है। अगर ऐसा होता तो फाउंडर्स ही कंपनी से सबसे पहले पैसा कमाता है। लेकिन हमने ऐसा नहीं किया, बल्कि हमने और पैसा लगाया।

अमेरिकी कर्ज़ ऋणदाता से 1.2 अरब डॉलर का टर्म लोन खतरनाक साबित हुआ। बीसीसीआई से डिलिवरी के बाद इन कर्ज़दाताओं से विवाद हुआ और उन्होंने लोन और ब्याज चुकाने को कहा। इसके बाद जांचकर्ता भी कंपनी से अलग हो गए। यहां से कंपनी की हालत खराब हो गई और तीन साल में कंपनी पूरी तरह से बर्बाद हो गई।

कंपनी के संस्थापक बायजू रशियन ने कहा कि बायजू के तीन प्रमुख निवेशक- प्रोसास, पीक एक्सवी नेशनल्स और चेन जुकर इनिशियेटिवा 2023 में एक ही समय में कंपनी से अलग हो गए थे। ये वो समय था जब कंपनी से पहले ही स्टूडियो का सामना कर रही थी। ऐसे समय में तीन बड़े अधिकारियों की कंपनी से अलग होना बहुत बड़ा झटका है। इसके बाद कंपनी के लिए टेक्नोलॉजी टेक्नोलॉजी बनाना मुश्किल हो गया।

बायजू ने कहा कि जांचकर्ताओं ने कहा कि अगर नौकरी में बदलाव या बहाली के लिए वोट दिया जाए तो आज कंपनी की ये हालत नहीं होगी। जिस कंपनी की वैल्यूएशन 2022 में 22 अरब डॉलर थी, आज वो शून्य पर खड़ी है।

एक टीचर बना बिजनेसमैन

बायजू बिल्डरन बी.टेक करने के बाद एक मल्टीनेशनल कंपनी में सर्विस इंजीनियर के तौर पर काम कर रहे थे। साल 2003 में जब वो वेकेशन के लिए घर गए तो देखा कि उनके साथ पढ़ने वाले दोस्त कैट की तैयारी कर रहे थे। CAT देश के प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट्स में एक उदाहरण के लिए आध्यात्म प्राप्त करें।

बायजू ने CAT के बारे में खुद भी पढ़ा और अपने दोस्तों को भी पढ़ना शुरू किया। उनके अनुयायियों की वजह से ज्यादातर दोस्तों ने एग्जामिनेशन क्लियर कर लिया। बायजू ने खुद भी 100 कैट में कैट का स्कोर बनाया। अगली बार उन्होंने फिर से एक्जाम दिया और एक बार फिर उन्हें 100 मिलियन डॉलर हासिल हुए। दो साल बाद बायजू ने प्लेस्टेशन कंपनी छोड़ दी और फुलटाइम के लिए पढ़ना शुरू कर दिया।

पत्नी के साथ शुरू किया बिजनेस

2007 में बायजू ने बायजू की क्लासेस शुरू की। शुरुआत में उन्होंने छात्रों के लिए एक कमरा किराए पर लिया, जिसमें एग्ज़ोमेटेशन के लिए गाइडेंस देना शुरू किया गया। देखते ही देखते उनकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि उन्हें स्टेडियम में क्लास लगानी पड़ी।

इसके बाद 2011 में बायजून ने पत्नी दिव्या गोकुलनाथ के साथ थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत की।

बायजू इस समय तक दक्षिण भारत में काफी मशहूर हो गए थे। पढ़ाई को लेकर उनके रिजल्ट ओरिएंटेड अप्रोच की वजह से कई सिद्धांत सिद्धांत क्रैक करने में सक्सेसफुल हो रहे थे।

2013 में मणिपाल ग्रुप के सुपरस्टार रंजन पाई और इंफोसिस के पूर्व सीएफओ मोहनदास पाई ने बायजू रेडियन की कंपनी की जांच की और इस तरह बायजू की शुरुआत हुई।

वोडाफोन से ऑनलाइन मॉड पर शिफ्ट हुई कंपनी

जांच रिपोर्ट ही कंपनी की सबसे पहली निजीकरण से ऑनलाइन मोड पर शिफ्ट हो गई। देश में डिजिटल लर्निंग के सबसे ट्रेंडिंग ट्रेंड को देखते हुए 2015 में कंपनी ने अपना पहला मोबाइल ऐप लॉन्च किया।

2016 में कंपनी को 145 मिलियन डॉलर और 2017 में 70 मिलियन डॉलर का मुनाफा हुआ। इस जांच के बाद बायजू का विस्तार शुरू हुआ। कंपनी ने युवाओं को नौकरी पर रखना शुरू किया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन शुरू किया। कंपनी ने एड और मार्केटिंग पर काफी पैसा खर्च किया। शाहरुख खान मोहन और लाल जैसे सितारे इसके एड में देखें।

2019 तक इस फिल्म में 50 हजार से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे थे। रेवेन्यू के मामले में भी कंपनी का प्रदर्शन बेहतरीन था। 1 हजार करोड़ रुपये के वैल्यूएशन वाली ये देश की पहली एडटेक कंपनी बनी थी।

कोविड महामारी में एडटेक सेक्टर में बूम आया

कोविड महामारी के दौरान जब सभी को घर में रखा जा रहा है तो मजबूरन बच्चों की पढ़ाई को लेकर चिंतित होना पड़ रहा है। ऐसे समय में एडटेक प्लेटफॉर्म्स काफी मशहूर हो गए। जब स्कूल और यूनिवर्सिटी सब बंद थे तो छात्रों के लिए ऑफलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया गया। बायजू के लिए ये अच्छा वक्त था।

2019 से 2020 के बीच कंपनी 1 कोलोराडो डॉलर की जांच की गई। इस जांच का लाभ कंपनी ने पोर्टफोलियो और जियो ग्राफिकल रीच को बढ़ाने के लिए उत्पाद तैयार किए। इसी के साथ कंपनी ग्लोबल एडटेक प्लेटफॉर्म की ओर से ग्रोथ जारी थी।

महामारी के साथ कंपनी की बिक्री भी रुक गई

2017 से 2021 के बीच बायजू ने 17 कंपनियों का अधिग्रहण किया। बायजू के विस्तार के बारे में पता चला था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इनमें से काफी कंपनी ने बायजू के फायदे को नुकसान पहुंचाया।

2020 में व्हाइटहैट जूनियर की कमाई 300 मिलियन डॉलर हो गई थी। लेकिन इससे बायजू को कोई फायदा नहीं हुआ। असिस्ट व्हाइटहैट जूनियर हाई फ़्लोरिडा सेल्स टैक्टिक्स लोगों की नज़र में आए और इसपर सवाल उठे। इसके बाद 2021 में कंपनी ने जब अपने पिछले पर्सिएटिव के रेवेन्यू कामाफिल इवेल्यूएशन किया तो पता चला कि कंपनी ने अपना एक्सपेक्टेड एग्रीमेंट अचीव नहीं किया है। साथ ही सामने आया कि कंपनी का लॉस बढ़ रहा है।

नुकसान के बावजूद मार्केटिंग पर पानी की तरह पैसा बहाया

बायजू का नुकसान झेल रही थी। लेकिन इसके बावजूद कंपनी मार्केटिंग पर पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा था। 2019 में कंपनी इंडियन प्रीमियर लीग यानी आईपीएल के मेन स्पॉन्सर बनीं।

कंपनी ने इंटरनेशनल एडवर्टाइजमेंट पर करोड़ों रुपए खर्च किए। 2022 में बायजूस ने फीफा वर्ल्ड भी कप स्पॉन्सर किया। इसी समय कंपनी ने हजारों कर्मचारियों को नौकरी से भी निकाल दिया था। जिसके कारण लोगों में कंपनी के प्रति आक्रोश बढ़ गया। इन चकाचौंध में एड का भी कोई फ़ायदा कंपनी को नहीं हुआ। कई कर्मचारियों और ग्राहकों ने कंपनी के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी थी।

संसद में बायजू की खोज

लोगों का आरोप है कि बायजू के सेल्समैन बड़े-बड़े वादे करके उन्हें और उनके बच्चों को धोखा देकर चकमा दे रहे हैं। गरीब और मध्यम वर्ग के माता-पिता बच्चों के बेहतर भविष्य का सिद्धांत बिना सोच-विचार वाले बायजू के सरकारी कोर्सेज लगे। वहीं, कंपनी में काम करने वाले पूर्व कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि कंपनी को बेचने के लिए कंपनी को बड़ी रकम जमा करने की जरूरत है। वर्किंग ऑवर्स के अलावा उन्हें कॉल कर सेल्स पूरा करने के लिए भी कहा जाता है।

पेरेंट्स और स्टूडेंट बायजू के कोर्सेज की गुणवत्ता पर सवाल उठा रहे थे। कंपनी के वर्कशॉप कलचर को लेकर भी लोगों ने आवाज उठानी शुरू कर दी। संसद में भी सामान उठाने वाली कंपनी अपने ग्राहकों को भुगतान के लिए बार-बार फोन कर उनका साथ देती है।

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