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मासिक धर्म हाईजीन की पहुंच केंद्र की मंजूरी: मत के अनुसार दुनिया भर में 50 करोड़ महिलाओं के पास मासिक धर्म हाईजीन की पहुंच नहीं


3 मिनट पहले

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सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के 10 अप्रैल 2023 के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि स्कूल जाने वाली लड़कियों को मासिक धर्म के लिए 2 नवंबर को मंजूरी दे दी गई है।

स्कूलों में लड़कियों के लिए ‘मेन्स्ट्रुअल हाईजीन’ को बेहतर बनाने और सुविधा देने के लिए केंद्र सरकार ने ये नई नीतियां बनाई हैं। केंद्र सरकार ने 11 नवंबर को अपनी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी।

10 अप्रैल 2023 को सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस नेता और सोशल एक्टिविस्ट जया ठाकुर ने पीआईएल (जनहित याचिका) दायर की थी। जिसमें केंद्र और राज्य में कक्षा 6 से 12 तक की लड़कियों को मुफ्त सैनिटरी पैड उपलब्ध है और इसके साथ ही सभी राज्य और राज्य सरकारों की मदद से चलने वाले निजी स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग से सेंट्री पैड की अपील की गई थी।

इसी अपील को देखते हुए बनाई गई है ये लाइब्रेरी। केंद्र सरकार ने निर्देश दिया है कि 2 नवंबर को कश्मीर को भी मंजूरी दे दी जाएगी। ये ऑर्डर स्कूल में छात्रा के मेंस्ट्रुअल हाईजीन को लेकर आया था।

2 नवंबर को मेंस्ट्रूअल हाईजीन सचिवालय को मंजूरी दे दी गई है।

मेन्सट्रूअल हाईजीन को लेकर फाइल की टूटी हुई दीवारें

मेन्सट्रूअल हाईजीन के लम्बित मामलों को लेकर मेन्सट्रूअल हाईजीन के लंबित मामलों को लेकर मेन्सट्रूअल हाईजीन के बीच मेन्सट्रूअल हाईजीन को लेकर समझ बढ़ाने और इसे लेकर सोच और व्यवहार में बदलाव लाने के लिए सरकार के लॉन्च सिस्टम में मेन्सट्रूअल हाईजीन को डेली एक्टिविटी में शामिल किया गया। है.

इस वाद्ययंत्र का मकसद संयुक्त राष्ट्र के मतभेदों को दूर करना है, जो ‘मेन्सट्रूअल साइकल’ के दौरान छात्रों को स्कूल आने से रोकते हैं। अक्सर देखा जाता है कि स्कूल में साफा स्टेडियम और पैड्स दोनों ही नहीं होते हैं क्योंकि इन दिनों में स्कालिक स्कूल नहीं जाते हैं।

अपील में निबंधित और निबंधन की मदद से चलने वाले निजी स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग से शौचालय की सुविधा की मांग की गई थी।

रिपोर्ट में कहा गया, मेन्सट्रूअल हाईजीन के लिए एक बेहतर सर्वे सिस्टम बनाया जाए

जस्टिस बी जे पारडीवाला और पंकज मिथल की याचिका 12 नवंबर को इस अपील पर सुनवाई करने वाली है।

मांग की गई है कि किचन में सर्वे सिस्टम को बेहतर बनाया जाए और यह पता लगाया जाए कि इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है। पता चल गया है कि राज्य और केंद्र सरकार के सहयोगियों द्वारा इसमें क्या सुधार किया जा सकता है ताकि निजी स्कूलों में बच्चों को मासिक धर्म के दौरान चलने वाले क्लीनिकों से जुड़ी साफ-सफाई की जानकारी मिल सके।

केंद्र सरकार ने कहा, इस मंजूरी का उद्देश्य नामांकन वाले सोशल टैग को खत्म करना और मासिक धर्म चक्र को सुरक्षित करना है।

इस लाइसेंस में कहा गया है कि ये छात्र स्वतंत्र बनने में मदद करेंगे।

पूरी दुनिया में मेन्सट्रूअल हाईजीन पर अवेयरनेस जीरो

यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ ने मेन्सट्रूअल साइकल को लेकर्सट्रूअल हाईजिन डे पर एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें स्कॉल में लड़कियों को दी जाने वाली फैसिलिटी को लेकर एक अध्ययन शामिल था।

रिपोर्ट के मुताबिक 50 करोड़ महिलाएं कभी पैड्स यूज़ नहीं करतीं

मासिक धर्म स्वास्थ्य और हाईजीन (एमएचएम) के अनुसार लगभग 50 करोड़ महिलाएं मासिक धर्म हाईजीन और उससे जुड़े उत्पाद (पैड, टैम्पोन) तक कभी पहुंच नहीं पाती हैं।

  • ​भारत में किशोरों की स्थिति एक सर्वेक्षण में पाया गया कि राजसी की कमी के कारण एक चौथाई बच्चे मेन्सट्रूअल साइकिल के दौरान स्कूल नहीं जाते हैं (वेन इजाक एट अल रिपोर्ट 2016)।
  • साउथ सूडान में सर्वे में टीनेज गर्ल्स से 57 फीसदी ने स्कूल में प्राइवेट चांग्लिंग रूम की कमी के कारण घर पर रहने की बात कही (तामीरू एट अल. 2015)।
  • केन्या में एक अध्ययन में पाया गया कि होटल में 95 प्रतिशत लड़कियां एक से तीन दिन तक स्कूल नहीं जाती हैं। 70 प्रतिशत ने अपनी पढ़ाई पर असर की बात कही और 50 प्रतिशत से अधिक ने इंस्टालेशन के कारण स्कूल में घोड़ों की बात कही (मुचेराह और थॉमस 2017)।
  • बांग्लादेश में एक सर्वेक्षण में पाया गया कि केवल 6 प्रतिशत स्कूल स्वास्थ्य और स्वतंत्रता पर शिक्षा देते हैं (विश्व बैंक 2017)।
  • घाना में सैनिटरी पैड प्रोग्राम में छह महीने तक मुफ्त सैनिटरी पैड पेड से और मेन्सट्रुअल साइकल एजुकेशन प्रोग्राम के बाद लड़कियों ने काफी कम स्कूल मिस किया (मोंटगोमेरी एट अल. 2012)।

36 प्रतिशत लड़कियों को अपने पहले से पहले मासिक धर्म चक्र के बारे में जानकारी थी।

स्कॉटलैंड में 2020 में ऑटोमोबाइल प्रोडक्ट्स का मुफ्त प्रावधान लाया गया

स्कॉटलैंड नवंबर 2020 में इन्स्टालमेंट प्रोडक्ट्स फ्री प्रोविजन एक्ट को मंजूरी दी गई। औद्योगिक उत्पाद अधिनियम के तहत उत्पादों का वितरण परिषद और शिक्षा क्षेत्रों में लागू किया जाएगा। इस एक्ट लेबर पार्टी की पार्टनर मोनिका लेनन को पेश किया गया था, जो 2016 सेलेब्रिटी पॉवर्टी यानी गरीबी की वजह से सेलेब्रिटी प्रोडक्ट्स नहीं खरीदने को लेकर चल रही थी।

2018 में, यंग स्कॉट के सर्वेक्षण के अनुसार

ब्रिटेन में सर्वे में सामने आया कि 64 फीसदी गर्ल्स हॉस्टल की वजह से स्कूल नहीं जा पाते।

447 मिलियन छात्रों के पास पीने का साफ़ पानी नहीं

रिपोर्ट में कहा गया है कि स्कूल में मेनस्ट्रुअल प्रॉडक्ट्स, हेल्थ और हाईजीन में सुधार के लिए दुनिया को तुरंत काम करने की जरूरत है। इन इंकलाइज़ पर खुले तौर पर काम करना चाहिए ताकि हर क्लासिक मेन्सट्रूअल प्रोडक्ट्स, उनसे जुड़े साफ-सफाई और हाईजीन पर बात की जा सके। रिपोर्ट में स्कूल में पानी और सफाई तक पहुंच भी शामिल है।

नवीनतम आंकड़ों के अनुसार आज 5 में से 1 बच्चा (447 मिलियन) अभी भी अपने स्कूल में पीने का साफ पानी नहीं पा रहा है। 5 में से 1 बच्चे को कोई भी सुविधा नहीं मिल रही है (427 मिलियन) और 3 में से 1 बच्चे को (646 मिलियन) स्वच्छता से जुड़ी कोई भी सुविधा नहीं मिल रही है।

2030 तक सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रगति की वर्तमान जिज्ञासा के लिए दो गुना वृद्धि, दो गुना वृद्धि और दो गुना वृद्धि की आवश्यकता होगी। दुनिया में सिर्फ 30 देश ऐसे हैं जहां मेन्सट्रूअल साइकिल पर ट्रैक करने का पता चलता है।

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