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सबसे अच्छी बात यह है कि यूजीसी नेट का उदाहरण: 3 श्रेणियों में पास होगा जुआ; एमआरएल निजीकरण से अंतिम कम्पटीशन, जारी हुआ एलएलसी


13 मिनट पहलेलेखक: शिवेन्द्र गौरव

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यूजीसी नेट के दिसंबर माह की परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस बार के नेट एग्ज़ाम में कुछ बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। यह पहली बार है जब ग्रेजुएट नेट का एग्ज़ाम डेग। एग्ज़ाम पास करने के बाद वह एलिजिबल हो फ़ाइनेंस के लिए उधार लेता है। अब देश भर में भी नेट के स्कोर को मान्य कर दिया गया है। इसकी लंबे समय से मांग की जा रही थी। इसलिए इस बार नेट पास करने वाले 3 क्लास में एलिजिबल होगा।

ग्रेजुएशन वाले भी दे फ्री यूजीसी नेट

एनटीए यानी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी, यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के लिए साल में दो बार नेट यानी नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट आयोजित किया जाता है। यूजीसी नेट पास करने वाले गेम्स देश की अलग-अलग यूनिवर्सिटीज में सुपरस्टार प्रोफेसर बनते हैं या/और जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) पाने के लिए एलिजिबल हो जाते हैं।

जून 2024 में यूजीसी यूजीसी एम. जगदीश कुमार ने बताया था कि इस साल 4 साल का ग्रेजुएशन करने वाले भी यूजीसी नेट के लिए अप्लाई कर सकते हैं। महात्मा गांधी इंटरनेशनल हिंदी यूनिवर्सिटी के रिसर्च स्कॉलर पार्टिकल ट्रिप में कहा गया है कि देश की कुछ ही यूनिवर्सिटी में अभी 4 साल का ग्रेजुएट कोर्स उपलब्ध है। इंटीग्रेटेड बैचलर कोर्स कहा जाता है। हालाँकि अभी भी ज्यादातर लोग 3 साल का ग्रेजुएशन प्रोग्राम लेते हैं।

तीन श्रेणियों में एलिजेबल होंगे नेट पास करने वाली जुआ

इस साल से पहले तक यूजीसी नेट का एग्जामिनेशन एग्जामिनेशन करने वाले थे जिज्ञासु दो साल के लिए एलिजिबल थे- जेआरएफ और नामांकित प्रोफेसर। उन्हें एक नेट स्कोर दिखाया गया था, इसके आधार पर कुछ यूनिवर्सिटीज के लिए गेमल्स को एलिजिबल इन एग्रीमेंट किया गया था। ज्यादातर यूनिवर्सिटीज में कार्टूनिस्टों के लिए अलग-अलग एंट्रेंस एग्जामाती स्थान हैं।

28 मार्च 2024 को यूजीसी ने अपने नोटिफिकेशन में यह भी कहा था कि देश के उच्च शिक्षण नाटकों में ड्रैगन करने के लिए कई एंट्रेंस एजॉम पास होने वाले हैं। ऐसे में नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत एक राष्ट्रीय उद्यम सिद्धांत लागू करने का निर्णय लिया गया है।

बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए JRF का मौका देने के फायदे-नुकसान क्या हैं?

रिसर्च स्कॉलर संगीत त्रिपिटक में कहा गया है कि यूजीसी नेट पर स्नातक करने के अवसर देने से दो फायदे होंगे। 4 साल के इंटीग्रेटेड कोर्स में शामिल होने वाले छात्र पिछले साल के इंटीग्रेटेड कोर्स से स्टडी कोर्स की पढ़ाई कर सकते हैं, ऐसे में वह कोर्स में दाखिला लेकर सीधे जेआरएफ या बेसिकली के लिए दाखिला ले सकते हैं। उनकी पोस्ट ग्रेजुएशन में लीव वाला समय बचेगा। साथ ही वह ग्रेजुएशन के साथ ही यह भी तय कर सकता है कि उन्हें किस सब्जेक्ट में शामिल किया गया है।

हालांकि दिल्ली यूनिवर्सिटी में हिंदी विभाग के प्रोफेसर अपूर्वानंद यूजीसी के ग्रेजुएट्स को मौका देने के फैसले से सहमत नहीं हैं। इसमें उनकी 2 तस्वीरें हैं-

  • 4 साल के इंटीग्रेटेड बैचलर कोर्स और यूजीसी के नेट के एग्जाम के पैटर्न में बहुत अंतर है। छात्र ग्रेजुएशन से ही सिद्धांतों का पालन करने के लिए पाठ्यक्रम पर ध्यान न दें।
  • 4 साल के बैचलर कोर्स का पाठ्यक्रम इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसमें कम समय में अध्ययन के विषयों को शामिल किया जा सके। बाद में येही सिद्धांत सिद्धांत के लिए पूछे जाते हैं, जबकि सिद्धांत में विषय की गहराई से समझने की आवश्यकता होती है।

यूजीसी नेट रिजल्ट में एलिजिबिलिटी के 3 क्लासेज के फायदे-नुकसान क्या हैं?

रिसर्च स्कॉलर की सामूहिक त्रिमूर्ति में यह दर्शाया गया है कि पुरानी व्यवस्था के तहत कई उचित उद्देश्यों को पूरा करने का अवसर नहीं मिला था। अनगिनत बाइबिल बाइबिल प्रोग्राम में सिलेक्ट किए गए थे, जिनमें रिसर्च फेलोशिप मिली थी। कुछ विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों को अलग-अलग एंट्रेस एजोमेट देना हुआ था। यह प्रक्रिया एक हद तक सीमित भी नहीं थी। विश्वविद्यालय की अपनी स्वतंत्रता थी।

ऐसे में लंबे समय से मांग की जा रही थी कि फिल्म में दर्शकों के लिए नेशनल लेवल पर एक टेस्ट उछाला जाए। अब सभी यूनिवर्सिटीज में नेट के स्कोर को लेकर लेवल-प्लेइंग फील्ड लोकेशन पर मीटिंग की जाएगी। जुगाली करने वालों को अलग-अलग यूनिवर्सिटीज के एग्जॉम नहीं दिए जाएंगे। इससे समय की बचत होगी। साथ ही उपयुक्त मूल को अवसर मिलेगा।

वहीं प्रोफेसर अपूर्वानंद नेट के स्कोर के तहत फिल्म में दर्शकों के खिलाफ निम्नलिखित जानें। वह 4 मुख्य बातें कहती हैं-

  • अमेरिका जैसे देशों में भी वैज्ञानिकों के लिए कोई सामान्य परीक्षण नहीं होता है। इस निर्णय से विश्वविद्यालय की स्वतंत्रता समाप्त हो गई।
  • एनटीए अब यूजीसी नेट के एग्जाम में सिर्फ गणित के प्रश्न पूछे जा रहे हैं, जबकि इससे पहले यूनिवर्सिटीज के एंट्रेंस एग्जामिनेशन में सब्जेक्ट पीस के वियासिन की एना लिटिकल्स की विशेषताएं और छात्रों की क्षमताएं विकसित हुई थीं। इस उदाहरण को पास करने से दावेदार काबिल शोधकर्ता नहीं लेगा।
  • यूजीसी ने अभ्यर्थियों के लिए एक भ्रम की स्थिति पैदा की है। अब सबूत को मंजूरी देना आसान लग रहा है, जबकि इस तरह की मंजूरी बस एक बड़ी डिग्री से ज्यादा कुछ नहीं है। इस व्यवस्था से खिलौने बनाने वाले के लिए महान शैक्षणिक अवसर नहीं होंगे।
  • क्लास में एलिजिबिलिटी तय करने से जेआरएफ वाले को नुकसान हो सकता है, क्योंकि उनकी सिलेक्शन पूरी तरह से यूनिवर्सिटी के लिए इंटरव्यू पर बेस्ड होगी, जहां उन लोगों को फायदा मिल सकता है, मेरिट में नेट के मार्क्स को 70% का वेटेज मिलता है। दिया जाएगा।

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