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31 मिनट पहलेलेखक: शिवेन्द्र गौरव
घटना क्रमांक-1
जगह- उत्तर प्रदेश के जंगल का एक सरकारी स्कूल
तारीख- 30 नवंबर 2024
स्कूल के अंदर 7 बच्चे अचानक अपना चमकाने लगे, जोर-जोर से चिल्लाने लगे। 7 बच्चों के इस बेहैवियर से पूरा स्कूल आ सकता है। बच्चे कह रहे थे कि उन्हें लंबे समय तक जन्म देने वाली एक लड़की, जो उनका गला दबा रही थी। डर की वजह से कुछ बच्चों का स्कूल छूट गया। टीचर्स ने तुरंत डॉक्टर, पुलिस-प्रशासन और बच्चों के ठिकानों की जानकारी दी। डॉक्टरों ने बच्चों की जांच की तो कहा, यह हिस्टीरिया हो सकता है।
घटना क्रमांक- 2
जगह- उत्तराखंड के बागेश्वर जिले का रैखोली जूनियर इंजीनियर
तारीख- 30 जुलाई 2022
स्कूल में 8वीं कक्षा की 6 लड़कियाँ और 2 लड़के बिना किसी कारण के एक साथ रोना, चीखना, ज़मीन पर लोटने और सिर पटकने लगे। वास्तविक-रोते सिद्धांत तक हो गए। यहां भी बच्चों में मास हिस्टीरिया की आपदा का खतरा बढ़ गया।
घटना क्रमांक-3
जगह- नेपाल के प्यूथान जिले का एक स्कूल
साल- 2022
स्कूल में एक 9 साल की बच्ची रोने-चीखने लगी थी। उसे देखकर दूसरा बच्चा भी रोने लगा। रोने और अजीब हरकतें करने वाले कुल मित्रों की कुल संख्या 47 थी। इसी स्कूल में साल 2017 और 2016 में भी एक ही वक्त में कई बच्चों में एक जैसे गुण या लक्षण देखे गए थे। इसे दोबारा होने वाले मास हिस्टीरिया का ओलंपिक मामला माना गया था।
घटना क्रमांक-4
स्थान- स्ट्रासबर्ग, रोमन साम्राज्य (आज का फ्रांस)
वर्ष- जुलाई 1518
इस इतिहास में दर्ज है इस तरह की सबसे पुरानी घटना। स्ट्रासबर्ग के बाजार में एक महिला की दुकान आई थी। उन्होंने अचानक ही अपने बालों की सेल और ड्रेस आउटकर नाचने लगी। उनकी देखी हुई शाम तक स्ट्रासबर्ग की स्ट्रीट्स पर करीब 400 लोग नाच रहे थे। देखने वालों ने कहा कि ये लोग थकने पर आप रुकेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हफ़्तों तक लोग प्रतिभागी स्ट्रासबर्ग की स्ट्रीट्स पर नाच रहे थे। आश्रम में कोई अशांत नहीं आया, इसलिए इन लोगों के लिए नाचने के लिए एक बड़ा सा मंच बनाया गया। संगीत की व्यवस्था की गई। लोग नाचते-नाचते गिर रात, बुद्धि और फिर से नाचने लगे। आख़िर में जब कई लोग हार्ट-अटैक के साथ चले गए तब उन्हें छोड़ दिया गया। रोकथाम के लिए हाथ-पैर बांधने पड़े। इसे मास हिस्टीरिया का मामला भी माना जाता है।
सवाल यह है कि यह भूतबा जैसा कुछ है, कोई मानसिक बीमारी है या कोरी अफ़वाह का असर है
स्ट्रॉबेरी के स्कूल में बच्चों ने कहा लंबी नॉक वाली लड़की सबसे पहले स्ट्रॉबेरी की घटना जान लें। रावी के नवाबगंज इलाके में एक गांव है- ईंध जागीर। यहां के सरकारी स्कूल में शनिवार दोपहर 2.30 बजे क्लास-6 की एक रहस्यमयी गैस निकली और अपना ही चमकता हुआ दिखाई दिया। यह देखकर क्लास के बच्चे और टीचर हैरान हो गए। इसके तुरंत बाद अन्य बच्चे दीप्ति, लता, फरीन, सोहेल, इंद्रजीत और अंजुम भी उसी तरह की हरकत करने लगे।
जमीन पर बिछाई गई फैक्ट्री काफी देर तक चीखती-चिल्लाती रही।
बच्चों के रोने-चिल्लाने के बाद गाँव के प्रधान, नवाबगंज के डॉक्टर विजय और उनकी टीम के सदस्यों पर टिपण्णी। बच्चों ने बताया कि उन्हें लंबी नाक वाली लड़की दिख रही थी। वह बच्चों को नोचा, गद्दा और साथ ले जा रही थी। आरोपियों ने जांच में कहा कि बच्चों में किसी बीमारी के संकेत नहीं हैं। बच्चों ने दोपहर 1 बजे आलू-टमाटर की सब्जी और चावल खाया। किसी की भी जांच हुई, इसमें भी कुछ नहीं निकला।
परिवार के लोग स्कूल गए और बच्चों को घर ले गए।
जिले के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अमित गंगवार ने बताया, ‘बच्चे में किसी भी बीमारी के लक्षण नहीं मिले। हो सकता है कि ठंड, थकान या वर्कशॉप के कारण बच्चों में नशा हो। एक बच्चे पर अन्य बच्चों के समूह के डॉक्टरों के आचरण पर आरोप ही व्यवहार करने लगे।’
एक इलेक्ट्रोनिक काफी देर तक एसेटोमो रही। बाद में आशिकों ने अपना चेकअप किया, तो सब कुछ नाम निकले।
क्षेत्र के एसडीएम एके उपाध्याय और लेखपाल भी जिले में माैके पर हैं। उन्होंने बच्चों और स्कूल स्टाफ से घटना की पूरी जानकारी ली। पुलिस भी घटना को लेकर अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही है।
इस पूरी घटना में भी डॉक्टर्स मास हिस्टीरिया की आपदा जात रहे हैं।
मास हिस्टीरिया क्या है? हिस्टीरिया का शाब्दिक अर्थ है- किसी भावना, उत्तेजना या इमोशन पर नियंत्रण के बिना। ऐसे समझें कि अगर अचानक भोपाल के किसी कॉलेज के बाहर विराट कोहली की सैर पर निकलें तो युवाओं में, उनके दोस्तों को देखकर एक एक्साइटमेंट होगा। सब उनसे मिलना, हाथ मिलाना और फोटो लेने के लिए सोच रहे होंगे। उनकी ये फिलिंग बहुधा होगी। येहिश्तीरिया है. वहीं मास का अर्थ है- समूह। रेवेन्यू के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. सिद्धार्थ कुमार का कहना है कि जब अचानक कोई घटना, आवाज या कोई भी और वजह से एक के बाद एक कई लोगों में एक जैसी फाइलिंग आती है तो इसे मास हिस्टीरिया कहते हैं। यह फिलिंग डॉक्टर की भी हो सकती है। अचानक किसी आवाज, किसी घटना, किसी हिस्से या मन की किसी डरावनी कल्पना से जब कोई व्यक्ति डराता है और उसे देखने या सुनने वाले बाकी लोग भी कल्पना ही करते हैं तो इसे डर वाली मास हिस्टीरिया कहते हैं।
डॉ. श्रीशेष कुमार तीन प्रमुख व्याख्याता बातें हैं- 1. हिस्टीरिया मानसिक बीमारी नहीं है: डॉक्टर सिद्धार्थ कहते हैं कि दिमाग में खुशी, गम और दवा के लिए डोपामिन और सेरेटोनिन जैसे हार्मोन काम करते हैं। इनका एक सही तालमेल बना रहेगा तो व्यक्तिगत समानता रहेगी। यदि इन हार्मोनों का मानक ठीक नहीं है और स्थायी रूप से कमियां रह रही हैं तो व्यक्ति को बीमार कहा जाएगा। हिस्टीरिया मामले में ऐसा नहीं है, यह ऐसी मानसिक स्थिति है जो अचानक और तुरंत सामने आ जाती है। अगर लोगों को देखा न जाए तो वे देर तक एक-दूसरे को देख-देख नहीं सकते। हालाँकि यह खुद में कोई बीमारी नहीं है, लेकिन लगातार एक जैसी चीज करने या डरने से लोग शारीरिक या मानसिक रूप से बीमार पड़ सकते हैं।
2. महिलाओं, बच्चों में खुद से करेक्शन न कर पाने का होता है मासहिस्टिरिया: सिद्धार्थ कुमार कहते हैं कि हिस्टीरिया की स्थिति महिलाओं और विशेष रूप से बच्चों में देखने को मिल सकती है। किसी एक बच्चे को किसी काल्पनिक चीज़ को लेकर हंगामा खड़ा हो जाता है, चिंता होती है। उनका कहना है, बच्चा भी बिना देखे उस चीज को सही मान लेता है। येही औरतें भी देखी गयीं हैं. इसका कारण यह है कि बच्चों और ग्रामीण इलाकों की महिलाओं में किसी भी तरह की अफवाह से खुद को बचाने की क्षमता नहीं होती है। वह दिल्ली में लोगों पर हमला करने वाले ‘फैंटेसी मंकी’ और उत्तर प्रदेश के ‘मुंहनोचवा’ की अफवाहों का उदाहरण देते हैं।
3. लेखों से आ रही इनफार्मेशन को मन ने लिया मास हिस्टीरिया की वजह: श्रीशेष कुमार के अनुसार, टेक्निकल तौर पर ऐसा कोई हार्मोन या चीज नहीं है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में शामिल हो और उसे भी डर का शिकार बना दे। असल समस्या किसी डर वाली अफवाह को सही मान लेने से होती है। स्कूल के किसी कमरे में अगर एक बच्चे को कोई चीज़ दी जाती है, तो दूसरे बच्चे को उसकी देखभाल सबसे ज्यादा सही लगती है। ‘भूत देखा, चुड़ैल देखा’ जैसी बातें सुनने में देखने से बहुत ज्यादा प्रभावित हो सकती हैं।
600 साल पुराने मास हिस्टीरिया का इतिहास, गोल्फ़ें लाभ से जरूरी इतिहास में दर्ज कई घटनाओं को मास हिस्टीरिया से जोड़ा गया है। मध्यकाल में फ्रांस में किशोर लड़कियों को उनके मियामी या बिना मोनिका के कॉन्वेंट में भेजा गया था, ताकि वो न के बराबर अपने जीवन को जीसस की सेवा में महसूस कर सकें। इसी दौरान एक कॉन्वेंट में एक नान ने बिल्ली जैसी आवाज निकालनी शुरू कर दी। अगले दिन वहाँ कई नैनें ‘म्याऊँ-म्याऊँ’ की आवाज़ें थीं। धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरज की गर्लफ्रेंड एकजुटता ने तय समय पर घंटों तक यही करने की कोशिश की। इससे जुड़े लोगों में त्राहि-त्राहि मच गई। आख़िर में फ़ौजी बुलानी पट्ट। फौजदारी ने नैनों को कोड़े की धमकी दी। इसके बाद अचानक से बिल्ली की आवाज बंद हो गई।
15वीं सदी के इंग्लैंड के कॉन्वेंट में मेस की रिकेरियटेड तस्वीरें
डॉ. दशरथ कुमार का कहना है कि ऐसी घटनाएं मास हिस्टीरिया के जैसी होती हैं। जब बच्चा क्लास में डरने लगा, तो उन्हें रोक-टोक वाला कोई बड़ा वहां मौजूद नहीं हुआ, तो बच्चे को ज्यादा देर तक चिंता नहीं हुई। अफ़गानों को लाभ से लाभ आवश्यक है।
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