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54 मिनट पहले
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में उदय प्रताप कॉलेज में बनी एक मस्जिद को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। यहां शुक्रवार यानी जुमे के दिन बड़ी शांति में लोग नमाज पढ़ते हैं। इसका विरोध 2 दिसंबर को छात्रों ने कॉलेज गेट पर जाकर हनुमान चालीसा पर करना शुरू कर दिया।
घटना स्थल पर पुलिस चौकी पर विध्वंस हुआ और 7 छात्रों को हिरासत में ले लिया गया। कॉलेज के अंदर और बाहर अभी भी पुलिस अधिकारी है। हालांकि, विरोध कर रहे छात्रों का कहना है कि अगर नमाजी कॉलेज में घुसे तो और बड़ा आंदोलन होगा।
‘पहले 20-25 लोग नमाज पढ़ने आते थे, जुमे को 900 लोग आ गए’
यह विवाद यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड के एक पुराने नोटिस के वायरल होने के बाद शुरू हुआ है।
115 वर्ष पुराना उदय प्रताप कॉलेज वाराणसी के भोजूबीर क्षेत्र में लगभग 100 वर्ष पुराना है। कॉलेज कॉलेज में एक छोटी सी मस्जिद है, जहां कुछ लोग लंबे समय से नमाज पढ़ने आते हैं। 25 नवंबर को कॉलेज के स्थापना दिवस पर सीएम योगी आदित्यनाथ कॉलेज आये थे. उन्होंने घोषणा की कि इस कॉलेज में 25 हजार से ज्यादा छात्र दाखिला लेंगे, इसलिए इसे यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया जाना चाहिए।’
इस घोषणा के बाद यूपी सूनायी वक्फ बोर्ड की 6 साल पुरानी एक नोटिस वायरल हुई, जिसमें मस्जिद को वक्फ बोर्ड की महिमा बताई गई थी।
सोमवार को प्रदर्शन में शामिल हुए कॉलेज के छात्र संघ के अध्यक्ष तीरंदाज़ सिंह कहते हैं,
नोटिस वायरल के पीछे आशय यह था कि खबर फैल जाए कि जब कॉलेज के पास अपनी संपत्ति नहीं है, कॉलेज वक्फ बोर्ड की संपत्ति है तो इसे विश्वविद्यालय का दर्जा कैसे दिया जा सकता है। जबकि कॉलेज वक्फ बोर्ड के दावे पर 2018 में ही जुर्माना अदा किया गया है।
2 दिसंबर को कॉलेज के गेट पर छात्रों ने हनुमान चालीसा का पाठ किया।
विद्यार्थियों ने वक्फ बोर्ड का फुल फॉर्मा, हनुमान चालीसा पढ़ा
कॉलेज के छात्र डेके सिंह के अनुसार, पहले यहां सीमित संख्या में लोग नमाज पढ़ने आते थे, लेकिन शुक्रवार को बड़ी संख्या में लोग परिसर में नमाज पढ़ने आते थे। इफ़रात सिंह कहते हैं, ’29 नवंबर को जुमे के दिन अचानक मस्जिद में पूरे प्रदेश से 800 से 900 लोग नमाज पढ़ने पहुंचे। आम तौर पर कॉलेज के स्टाफ के कुछ लोग और उनकी लाटियाँ ही नमाज़ पढ़ने आते थे। यह संख्या 20-25 की थी। कॉलेज को धर्मयुद्ध का मैदान बनाया गया। इस पर छात्रों ने हंगामा किया और उन्होंने विरोध किया।’
इफ़ेक्ट कहते हैं, ‘2 दिसंबर को हमने वक्फ बोर्ड का फ़ायदा उठाया। इसके बाद कॉलेज के मेन गेट पर हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। हमने सभी सामाजिक मस्जिदों और स्मारकों को भी पत्र लिखकर कहा कि अगर कॉलेज में नमाजी आए तो हम बड़े आंदोलन को बाध्य होंगे। ‘विश्वविद्यालय बार एसोसिएशन और सेंट्रल बार एसोसिएशन सहित कई विद्वानों का समर्थन मिला हुआ है।’
2018 में वक्फ बोर्ड ने नोटिस में मस्जिद को वक्फ की महिमा बताई थी
6 दिसंबर 2018 को यूपी सनी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सहायक सचिव आले अतीक ने वक्फ अधिनियम 1995 के तहत यूपी कॉलेजों को नोटिस भेजा था। भोजूबीर तहसील सदर के रहने वाले मोहम्मद अहमद खान ने यह रजिस्ट्री पत्र भेजा था।
कॉलेज प्रशासन की ओर से कहा गया, ‘कॉलेज की छोटी मस्जिद नवाब टोंक की संपत्ति है। इसे नवाब ने वक्फ को दे दिया था, यह वक्फ की संपत्ति है और इसे व्यवसाय में लिया जाना चाहिए। अगर 15 दिन के अंदर कॉलेज की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया, तो बाद में कॉलेज की तरफ से चिंता नहीं की जाएगी।’ तब इस नोटिस का कॉलेज की तरफ से जवाब दिया गया था।
यूपी कॉलेज शिक्षा समिति के सचिव यूएन सिन्हा ने 21 दिसंबर को अपने जवाब में कहा था कि कॉलेज की स्थापना 1909 में चैरिटेबल एंडाउमेंट एक्ट के तहत हुई थी। उदय प्रताप कॉलेज के निर्माता डेके सिंह के अनुसार, यूएन सिन्हा ने वक्फ बोर्ड को दिए गए अपने उत्तर में कहा था कि एंडॉमेंट ट्रस्ट की कोई जमीन नहीं है और कोई प्रवेश नहीं हो सकता है और किसी भी तरह का मालिकाना हक भी है तो कार्रवाई करें के माध्यम से यह हक खत्म हो गया है।
इसका जवाब उन्होंने जो कॉलेज की तरफ से वक्फ बोर्ड को भेजा था।
कुछ लोग मस्जिद का नवीनीकरण करना चाहते थे
डीके सिंह का कहना है, ‘यह किसी अवांछनीय तत्व की चेतना है जो अब कॉलेज की जमीन को यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की जमीन बता रहा है। ‘सम्मिलित के कागज खतौनी विवरण में कहीं भी मस्जिद का ज़िक्र नहीं है।’
डेके सिंह के अनुसार, कॉलेज की ओर से जवाब देने के बाद बोर्ड की ओर से आगे कोई पत्र नहीं भेजा गया। हालांकि यहां कुछ लोग मस्जिद में कुछ निर्माण कार्य करना चाहते थे, जिस पर कॉलेज ने कार्रवाई की और पुलिस की सहायता से निर्माण सामग्री हटवा दी थी। 2022 में पुलिस को बताया गया था कि परिसर में कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकता है।’
कॉलेज ने मजार की बिजली भी कटवा दी थी क्योंकि मजेर पर अवैध रूप से कॉलेज से ही बिजली चोरी करके इस्तेमाल की गई थी। उस समय भी बोर्ड ने नोटिस भेजा था, लेकिन टैब के वर्कशॉप और सचिव ने सक्रियता से जवाब दे दिया था।
9 नवंबर 2022 को डीके सिंह द्वारा पुलिस प्रशासन को पत्र लिखा गया
दावा करने वाले मोहम्मद अहमद खान का निधन हो गया है
मीडिया एडिट के अनुसार, भोजुबीर के रहने वाले मोहम्मद अहमद खान का 2023 में 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। 2022 में मोहम्मद अहमद ने वक्फ बोर्ड से कहा था कि अब उनकी तबीयत ठीक नहीं है, देखिए वह इस मामले की पैरवी नहीं कर सकते।
मस्जिद के इतिहास में बताया गया है कि 1857 के गदर में टोंक के नवाब को यहां नजरबंद कर दिया गया था। उनके कुछ लोग अपनी वजह से यहां बस गए थे और नवाब ने उन लोगों के लिए एक बड़ी मस्जिद और एक छोटी मस्जिद बनवाई थी। यूपी कॉलेज परिसर में छोटी मस्जिद है।
कॉलेज में एग्ज़ाम जारी, छात्रों ने कहा, ‘नमाजी आएं तो हम विरोध करेंगे’
कॉलेज में 2 दिसंबर से सैमुअल एग्जाम चल रहे हैं। कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि एग्जॉम ठीक से पढ़ाई के लिए कॉलेज और प्रशासन पूरी तरह से तैयार है। मेन गेट के अंदर किसी का आईकार्ड चेक करके ही प्रवेश दिया जा रहा है।
शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए सहयोगियों और कर्मचारियों की अपील की गई है। हर किरदार पर नज़र जा रही है। डेके सिंह का कहना है कि कॉलेज भी यही चाहता है कि लोग सीमित संख्या में ही नमाज अदा करें। सर्वसम्मति को देखते हुए और शांति व्यवस्था के साथ नमाज अदा करने के लिए वाराणसी पुलिस प्रशासन ने परिसर में फोर्स का गठन किया है।
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