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युनिवर्सिटी के छात्रों को जेई मेंस्ट्रुअल लीव: देश में इसके लिए कोई कानून नहीं; केवल केरल में विद्यार्थियों के लिए मैनुअल लीव देने के नियम


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  • सिक्किम विश्वविद्यालय ने छात्रों को मासिक धर्म अवकाश की घोषणा की | मासिक धर्म अवकाश नीति

1 घंटा पहलेलेखक: शिवेन्द्र गौरव

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युनिवर्सिटी ने एक दिन के छात्र को मैनुअल लीव की घोषणा की है। युनिवर्सिटी युनिवर्सिटी यूनाइटेड यूनियन (SUSA) कई महीनों से इसकी मांग कर रही थी। नवंबर में SUSA ने यूनिवर्सिटी को अपना प्रस्ताव दिया था। इसके बाद ये फैसला लिया गया.

4 दिसंबर को यूनियन यूनिवर्सिटी के स्ट्रेंथ लक्ष्मण शर्मा ने नोटिफिकेशन जारी किया है। इसके अनुसार, हर महीने यूनिवर्सिटी की फीमेल कैंडिडेट्स को 1 दिन की मासिक छुट्टी मिल सकती है। हालांकि परीक्षा के दौरान यह छुट्टी नहीं मिल सकेगी। यूनिवर्सिटी के इंटरनैशनल एग्जॉम में 75% अटेन्डेंस जरूरी है। मेंस्ट्रुअल लीव के तौर पर लीज की छूट दी जाएगी।

इससे पहले 28 नवंबर को केरल के इंडस्ट्रियल इंस्टीट्यूट आईआईटीआई में पढ़ने वाली स्टूडेंट को भी हर महीने दो दिन की मासिक लीव देने की घोषणा की गई थी। राज्य के से अधिकांश आईटीआई में पढ़ने वाली को लाभ का लाभ मिलेगा।

केरल में छात्र, बिहार, ओडिशा में कर्मचारियों की कोट्स इनस्ट्रुअल लीव है

बिहार में साल 1992 से ही स्ट्रुअल लीव को लेकर नियम बने हुए हैं। इसके तहत राज्य की महिला कर्मचारियों को हर महीने दो दिन की छुट्टी दी जाती है। कर्मचारियों की नौकरी पर कोई फर्क नहीं पड़ता। इसी साल ओडिशा में भी महिला कर्मचारियों को हर महीने एक दिन की मासिक छुट्टी की घोषणा की गई है।

वहीं केरल सरकार ने साल 2023 में राज्य के सभी कॉलेजों और यूनिवर्सिटी की फीमेल में स्ट्रुअल लीव के लिए आवेदन की योजना बनाई है। इसके अलावा 18 साल से अधिक उम्र वाली महिलाओं के लिए 60 दिन की मैटरनिटी लीव की भी घोषणा की गई है।

नेशनल लेवल पर मेंस्ट्रुअल लीव को लेकर कोई नियम या वैधता नहीं

इसी साल सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से महिला कर्मचारियों के लिए मेंस्ट्रुअल लीव को लेकर एक मॉडल काउंसिल बनाने को कहा था। तब के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा था कि एडल्यूशन लीव इंश्योरेंस से तीर्थयात्रा की संभावना है, इस पर अदालत में विचार नहीं किया जा सकता है। बेंच ने कहा कि कोर्ट का फैसला सुनेगा तो ये बिकाऊ हो सकता है और बेरोजगार महिलाओं को नौकरी पर रखा जा सकता है।

हालाँकि संविधान के अनुच्छेद 15 का खंड 3 महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान बनाने की मात्रा देता है, लेकिन देश में अब तक मासिक धर्म के दिनों में छुट्टी को लेकर कोई कानून नहीं बन सका। मासिक धर्म के दौरान छुट्टी लेने वाली महिलाओं को नौकरी देने के लिए कोई कानूनी नियम नहीं है। कुछ प्राचीन में इस मुद्दे को लेकर कंपनी, शैक्षणिक संस्थानों से लेकर सामाजिक मंचों पर भारी बहस हुई। साल 2017 में संसद में ‘मेन्स्ट्रुए बेन्निसिट्स बिल’ भी पेश किया गया। इसके बाद 2018 में ‘मेन्स्ट्रुअल हेल्थ प्रोडक्ट्स बिल’ नाम का बिल आया। इसी नाम से 2022 में भी एक बिल लाया गया, लेकिन इनमें से कोई भी बिल सदन के पास नहीं बन सका।

मासिक धर्म स्वास्थ्य उत्पाद बिल 2022, मासिक धर्म के दौरान महिलाओं और ट्रांसवीमेन को 3 दिन की पेड लीव यानी बिना अवकाश केट काम से छुट्टी की छुट्टी मिलती है। एक शोध के दस्तावेज़ में यह भी कहा गया है कि होटल के दौरान 40% लड़कियों को स्कूल से छुट्टी ले ली जाती है।

8 देश में मासिक धर्म का कानून लागू

स्पेन पहला यूरोपीय देश है जहाँ पर स्ट्रुअल लीव कानून लागू किया गया था। इसके तहत स्पेन की महिलाओं के लिए 3 दिन की छुट्टियाँ होती हैं। इस छुट्टी को 2 दिन और स्केल मिल सकता है।

किसी राष्ट्रीय कानून की लड़कियों को अपने मासिक धर्म के दौरान कैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, उदाहरण के लिए गुजरात के भुज का 2020 का मामला है। स्वामी नारायण संप्रदाय से जुड़े सहजानंद गर्ल्स इंस्टीट्यूट में लड़कियों को मासिक धर्म के दौरान छात्रों और बाकी लड़कियों को अलग-अलग रखा गया था। लड़कियों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि 66 लड़कियों को टीचर्स के सामने वाले प्लास्टिक पेपर के साथ जबरदस्ती किया गया, ताकि यह देखा जा सके कि गर्ल्स का मेंस्ट्रुअल साइकल चल रहा है या नहीं। इस मामले में कॉलेज के मालिक और चपरासी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।

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