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इसरो के नए पढ़े लिखे बने वी नारायणन: 8वीं तक बिना बिजली के, 10वीं के टॉपर; शुक्र ग्रह अंतरिक्ष विज्ञान तक पहुँचता है


53 मिनट पहले

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डॉ. वी. नारायणन इसरो यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के नए चेयरपर्सन बन रहे हैं। 14 जनवरी से वर्तमान इसरो प्रमुख एस.एस.एस.ओ. का स्थान।

नारायणन इस पद पर 2 साल तक बने रहे और स्पीच वो वलियामाला में स्थित हैं, जो कि नामांकित प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (एलपीएससी) के संचालक हैं। उनके करीब 40 साल का अनुभव है। वो डिज़ाइन और अंतरिक्ष विज्ञान संचालन के बेस्टस्ट हैं।

वीनस जाने का सपना, 9वीं तक बिना बिजली की पढ़ाई की

वी नारायणन का जन्म तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के मेलाकट्टुविलाई गांव में हुआ। उनके पिता सी. वन्नीयापेरुमल एक गरीब किसान थे और उनकी माँ एस. थंगम्मल घर संभालती थी।

माता-पिता के अलावा उनके घर में तीन भाई और दो बहनें थीं। ये सभी भाई-बहन एक साथ के ही तमिल स्कूल में पढ़ाई करते थे। नारायणन 8वीं कक्षा तक बिना बिजली के बोले थे। 9वीं में पहली बार उनके घर में बिजली का कनेक्शन लगा और शायद ऐसा ही परिणाम था कि 10वीं में उन्होंने पूरे स्कूल में टॉप किया।

आईआईटी खड़गपुर से की पढ़ाई

ग्रेजुएशन करने के बाद नारायणन एक-डेढ़ साल में टीआई डायमंड चेन लिमिटेड, मद्रास रबर मियामी, बीएचईएल, त्रिचि एंड बीएचईएल और रानीपेट में काम कर चुके हैं। 1984 में वो इसरो से जुड़े।

इसरो से जुड़ने के बाद नारायणन ने सबसे पहले विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में सॉलिड प्रोपल्शन पर काम किया। 1989 में वो एलपीएससी यानी इंटरव्यू प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर में काम करने लगे। तब उन्होंने जेनेटिक प्रोपल्शन पर काम किया।

नारायणन ने 1989 में आईआईटी खड़गपुर से एम.टेक किया। इस दौरान उनका सब्जेक्ट था और उन्होंने पहली रैंक भी हासिल की। इसके बाद आईआईटी खड़गपुर से ही एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में 2001 में पीएचडी की।

वे कविराज एन. के. से शादी के और उनके दो बच्चे हैं। उनका एक बेटा- कलेश और एक बेटी- दिव्या है।

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