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35 मिनट पहलेलेखक: शिवेन्द्र गौरव
मुझे लगा कि होटल एक ऐसी चीज है जिसका इस्तेमाल मुश्किल मसालों को सॉल्व करने में किया जा सकता है- जैसे कि स्टेरॉयड का इलाज करना और बुढ़ापे को फायदा पहुंचाना। मुझे लगा कि हम कोई ऐसा संत बन सकते हैं जो इन समस्याओं का समाधान निकालने में मदद कर सके। फिर जब एआई कंपनी के खिलाफ मेट्रिक्स स्थापित होने लगे तो मुझे इसके बारे में चिंता होने लगी।
ये कहना था आर्टिफिशियल इंस्टीट्यूट (एआई) फर्म ओपनएआई के शोधकर्ता सुचिर बालाजी का। 26 नवंबर को 26 साल के अमेरिकी भारतीय सुचिर की मौत हो गई। वह अपने अपार्टमेंट में मृत पाई गईं।
मौत से 1 दिन पहले ओपनएआई पर ग्रोमेट में सुचिर के आरोप लगाए गए
यह मामला 14 दिसंबर को चर्चा में आया है। पुलिस को शुरुआती जांच में किसी भी तरह की गड़बड़ी के सबूत नहीं मिले हैं। पुलिस को शक है कि 26 साल के इंडो-अमेरिकन सुचिर ने आत्महत्या कर ली थी।
सुचिर तब पहली बार चर्चा में आए थे, जब उन्होंने एआई और इसके पोस्टल कंटेंट के मिसयूज को लेकर चिंता जताई थी। उन्होंने ओपनएआई में नैतिक सिद्धांतों के उल्लंघन की भी बात कही थी। जबकि उसने स्वयं OpenAI को लोगों में से एक बनाया था। सुचिर ने चैटजीपीटी बनाने वाली कंपनी ओपनएआई पर कंपनी के उल्लंघन का आरोप लगाया था।
26 नवंबर को सुचिर का शव मिलने से एक दिन पहले ही ओपनएआई के खिलाफ दर्ज हुए एक स्कोर में सुचिर का नाम शामिल था। मीडिया एडिटोरियल के अनुसार, इसके ओपनएआई सुचिर की उस फ़ाइल की समीक्षा करने पर सहमति हो गई थी, जिसमें उन्होंने संबंधित चिंताएं भूखा को कॉपीराइट कर दिया था।
सुचिर बालाजी
सुचिर एआई के माध्यम से बैक्टीरिया का इलाज, बुढ़ापा दूर करना चाहते थे
डीपमाइंड नाम के एक स्क्रीनशॉट ने एक ऐसा एआई सॉफ्टवेयर बनाया था, जो स्पेस इनवेडर्स, ब्रेकआउट और पोंग जैसे गेम्स खुद खेल सकता था। इस कथा की खबर से सुचिर का एआई में रुचि जगी। सुचिर एआई के माध्यम से लोगों के सवालों का हल निकालना चाहते थे।
उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स से बात करते हुए कहा था, ‘मुझे लगा कि हम ऐ को ऐसा संत बना सकते हैं जो इलाज का इलाज कर सके और बुढापे को रोकने में मदद कर सके।’
इस समय सुचिर बर्कले कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में कंप्यूटर विज्ञान के जानकार थे। उन्होंने न्यूरल नेटवर्क नाम के एक मैथमैटिकल सिस्टम को विकसित करने का काम शुरू किया। वह इसे ऐसा नेटवर्क बनाना चाहती थी कि जो बहुत सारे डेटा पर एना बस लेकर कुछ प्लाट्स सीख सके।
आसान भाषा में कहा जाए तो सुचिर एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाने की कोशिश में थे, जिसमें यह डेटा डॉक्यूमेंट किया जाए कि अलग-अलग मेटल्स को कैसे सॉल्व किया जाए। उसके बाद वह सॉफ्टवेयर खुद से उन माल्ट्स सॉल्व करने की बोतलें सीख सके। आमतौर पर आज हमारी जोड़ी में भी AI टूल्स हैं, वह यही काम करते हैं। उदाहरण के लिए एआई हमसे ही सीखकर किसी भी टॉपिक पर अंग्रेजी में अच्छी स्टोरी लिखना सीखा है। हिंदी में काम करना अभी AI सीख रहा है।
सुचिर बालाजी ने ओपनएआई ज्वाइन किया, चैटजीपीटी में रही अहम भूमिका
इलॉन मस्क ने सैम ऑल्टमैन के साथ मिलकर 2015 में OpenAI बनाया था। इसका हेडऑफिस अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में है। यह एक आर्टिफिशियल कंपनी फर्म (एआई) रिसर्च है जो चैटजीपीटी जैसे एआई टूल्स और इंस्टालेशन है।
इलोन मस्क के साथ सैम अल्टमैन (दाएं) (फोटोसर्स- गेटी)
मस्क ने 2018 में कंपनी के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया था। मस्क ने OpenAI और Altman सहित कंपनी के कई अन्य लोगों पर भी परीक्षण किया था। उन्होंने ओपनएआई के अनइबिएट पर्पार्टमेंट कॉन्ट्रैक्चुअल एग्रीमेंट्स का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था।
अगस्त 2024 में सुचिर ने ओपनएआई की नौकरी छोड़ दी
अचानक अगस्त 2024 में सुचिर ने ओपनएआई छोड़ने का फैसला लिया। जॉब वर्क टाइम में उन्होंने कहा कि जिस टेक्नोलॉजी को डेवलप करने में उन्होंने मदद की थी, उससे नुकसान की जगह फायदे हो रहे हैं।
उन्होंने कहा,
यदि आपका भी विश्वास है कि मैं स्केल पर हूं तो आपको भी कंपनी में नौकरी छोड़नी चाहिए।
मस्क की तरफ से आर्किटेक्चरल आर्किटेक्चर में भी यही कहा गया था कि अल्टमैन और ग्रेग ब्रॉकमैन ने मस्क से एक ओपन क्लासिक, नॉन-प्रॉफिट कॉन्टैक्ट कंपनी बनाने का काम किया था। यह कंपनी इंसानों के फायदे के लिए आर्टिफिशियल साइंस टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट करने वाली थी। हालाँकि OpenAI के लॉन्च पर फोकस करने से मस्क और OpenAI का समझौता टूट गया।
सुचिर ने ओपनएआई लॉन्च के पीछे क्या चिंताएं रखीं?
सुचिर ने 4 साल तक OpenAI के साथ काम किया। नौकरी का समय सुचिर ने तीन बड़ी चिंताएँ गढ़ा-
1. ओपनएआई समेत अन्य कंपनियों ने अपने चैटबॉट और एआई टूल्स को ट्रेनिंग देने के लिए कंप्यूटर प्रोग्रामर्स, आर्टिस्ट्स, राइटर और न्यूज इंस्टीट्यूट के कॉपीराइट डेटा का अवैध रूप से इस्तेमाल किया है।
2. चैटजीपीटी और इसी तरह के अन्य एआई चैटबॉट्स टूल, कंटेंट क्रिएटर्स, बिजनेस और इंटरनेट के लिए खतरा पैदा हो सकता है। जबकि AI ने डॉक्यूमेंट्री के बनाए डेटा का इस्तेमाल करके ट्रेनिंग ली थी।
3. एआई टेक्नोलॉजीज, इंटरनेट की जगह ले रही हैं। जबकि AI टूल्स अक्सर गलत और मनगढ़ंत जानकारी देते हैं। इससे इंटरनेट खराब हो रहा है।
उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स से बातचीत में बताया था कि GPT-4 जैसे सिस्टम से डेटा से ट्रेनिंग ली जाती है, वह उस डेटा की पूरी कॉपी बना लेते हैं। जब पूरा डाटा एक ही सॉफ्टवेयर में कॉपी हो जाता है तो OpenAI जैस्ट सिस्टम को कॉपी कर लिया जाता है या फिर पूरी तरह से नए तरीकों से वीडियो अपलोड करने का प्रशिक्षण लिया जा सकता है।
उनका कहना था, ‘असल में यह है कि डेटा लेना और फिर से आपत्तिजनक टिप्पणी के बीच में एआई को कुछ अलग करने के प्रशिक्षण दिए जाते हैं। एआई जो आपत्तिजनक है, वह किसी भी तरह से किसी भी तरह का आपत्तिजनक नया नहीं है।’
तबसे सुचिर अपने एक्स हैंडल और अपने ब्लॉग पर लगातार चैटजीपीटी के बारे में बात करते रहे। अक्टूबर 2024 में एक्स पर अपनी एक पोस्ट में सुचिर ने कहा था,
शुरुआत में कॉपीराइट, इंटरनेट के कंटेंट के फेयर एसोसिएट्स के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। जब एआई सहयोगियों के खिलाफ़ स्थापित होने लगे तो मैं इसके बारे में और चिंतित हो गया।
सुचिर का एक्स हैंडल
सुचिर के शैतान को OpenAI ने दोषी ठहराया था
ओपनएआई ने एक बयान में कहा, “हम सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा का इस्तेमाल करके, फेयर यूज़ और प्रोजेक्ट के तहत, कानूनी तरीकों से अपने एआई मॉडल तोड़ते हैं। हमारा यह सिद्धांत क्रिएटर्स के लिए फेयर है, इनोवेटर्स के लिए जरूरी है और अमेरिका।” कॉम्पिटिटानेस में विश्वास स्कोर के लिए अहम है।’
क्या होता है ‘फेयर युग’ जिसे सुचिर ने एआई सोसायटी का बचाव कहा था
किसी के मॉल से या उसके राइट्स को कानूनी तौर पर खरीदकर किसी के कंटेंट का उपयोग करना फेयर यूज़ कहा जाता है। इस फेयर यूज़ को लेकर सुचिर ने एक बहुत ही विचार करने की बात कही थी। ऐसा कुछ कहा गया था जो कंटेंट क्रिएटर्स, पेपर, न्यूज वेबसाइट, लेखकों और कलाकारों के लिए बेहद महंगा है। उनका कहना था,
एआई मॉडल्स में फेयर यूज़ होने की बात कही गई है, एक ऐसा बचाव जैसा है, जिस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। चूँकि AI को जिस डेटा का प्रशिक्षण दिया जाता है, वह उस डेटा का उपयोग करके ऐसे उत्पाद बना सकता है जो उस डेटा को भी नुकसान पहुँचा सकते हैं।
ये कुछ ऐसी ही बात है कि एआई, चौधरी रहमान का म्यूजिक चुराकर उन्हें जुलता और उससे भी बेहतर एक म्यूजिक बना दे। फिर जब रिचर्ड रहमान उस पर कॉपीराइट स्ट्राइक करें तो यह कहा जाए कि यह हमारे AI का अपना बनाया हुआ म्यूजिक है।
इसी उदाहरण को कंटेंट क्रिएटर्स, अखबार, न्यूज वेबसाइट, लेखक और कलाकार भी अपने ऊपर लागू करें तो समझ सकते हैं कि किसकी चिंता कितनी ज्यादा थी।
सुचिर ने अपने ब्लॉग में एआई मॉडल्स के कथित फेयर यूज़ की पोल खोली है।
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